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महिलाओं के अधिकारों के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी

महिलाओं की स्थिति आज भी सही नहीं, अमेरिका में आज तक एक भी महिला नहीं बन सकी राष्ट्रपति

हल्द्वानी : एमबीपीजी कालेज के आंतरिक परिवार समिति के तत्वावधान में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें चर्चित कवि और लेखक अशोक पान्डे ने महिलाओं के विविध पक्षों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि पूरी दुनिया में आज भी महिलाओं को उपेक्षित नजर से देखा जाता है। यही कारण है कि अमेरिका जैसा आधुनिक विचारों और सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश आज भी किसी महिला को देश के राष्ट्रपति पद पर नहीं चुन पाया है। भले ही वहां का समाज वैचारिक तौर पर बहुत आगे हो, लेकिन देश के सर्वोच्च पद पर वह किसी महिला को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। इससे ही पता चलता है कि आज भी पूरी दुनिया में महिलाओं की स्थिति कैसी है?

उन्होंने कहा कि यह अलग बात है कि दुनिया के अधिकतर देशों में आज महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने के लिए की तरह के कानून बन गए हैं। इसके अलावा महिला आंदोलनों के कारण आज पहले के अपेक्षा महिलाओं की स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। इस सब के बाद भी बुनियादी तौर पर महिलाओं के लिए पुरुषों के बराबर के अधिकारों को लेकर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
वरिष्ठ कवि अशोक पांडे ने कहा कि दुनिया में जितने भी आविष्कार हुए हैं और जितनी भी नई तकनीक के उपकरण बने हैं, वे सब पुरुषों को ध्यान में रखकर ही बनाए गए हैं, इन सब में महिलाओं के उपस्थित कहीं भी नहीं है। मेडिकल साइंस तक में दवाओं का आविष्कार पुरुषों को ध्यान में रखकर किया गया है। जिसकी वजह से जो दवाइयां पुरुषों पर बेहतर काम करती हैं, वह महिलाओं पर उतना असर नहीं डालती हैं। उन्होंने कहा कि हर चीज पुरुष की सुविधा के हिसाब से बनी है। स्त्रियों को कहीं भी प्राथमिकता नहीं दी गई। कभी महिला शायर तक नहीं थी, लेकिन प्रवीन शाकिर उर्दू शायरा पुरुषों के वर्चस्व को नकार कर आगे बढ़ी।
पान्डे ने कहा कि एक दिन यदि महिलाएं अपना काम छोड़ दें तो पूरी व्यवस्था ठप्प हो जाएगी। दुनिया की आधी आबादी के महत्व को आज तक नहीं समझा गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के द्वारा हुआ। तत्पश्चात बीएड के छात्र-छात्राओं द्वारा वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किए गए। पांडे को प्राचार्य डॉ. एन एस बनकोटी की ओर से प्रोफेसर बीआर पंत ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। डॉ एन. एस. सिजवाली ने अशोक पांडे का परिचय दिया। प्राचार्य प्रोफेसर एनएस बनकोटी ने सभी को महिला दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि महिलाओं को हमेशा आगे बढ़-चढ़कर कार्य करना चाहिए। वे कहीं से भी कमजोर नहीं, सशक्त हैं।
महाविद्यालय के शिक्षक – अभिभावक संघ के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला ने कहा कि सरकारों के स्तर पर भले ही महिलाओं को बहुत सारे बराबरी के कानूनी अधिकार मिल गए हों, लेकिन पारिवारिक स्तर पर अभी उन्हें बराबरी का अधिकार जिस तरह मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला है। घरों के आगे नेम प्लेट लगने की बात हो या फिर शादी विवाह के निमंत्रण पत्रों में घर की महिलाओं के नाम काफी कम लिखे जा रहे हैं। रौतेला ने कहा कि घर की धुरी होने के कारण इन सब में महिलाओं के नाम प्रमुखता के साथ लिखे जाने चाहिए। जब तक परिवार में महिलाओं को बराबर का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक केवल कानूनी प्रावधानों से उनकी स्थिति में बदलाव नहीं आ सकता है।
इस अवसर पर लेखक अशोक पांडे के पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। डॉ. रेनू रावत द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. दीपा गोबाड़ी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ बी आर पंत, डॉ सविता भंडारी, प्रो.प्रभा पंत, डॉ अनिता जोशी, डॉ शुभ्रा कांडपाल, डॉ हेमलता, डॉ तनुजा मेलकानी, डॉ रंजना शाह, डॉ सीएस नेगी, डॉ विजयलक्ष्मी, डॉ चंद्रा, डॉ चारू ढोंडियाल तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, शोधार्थी उपस्थित थे। ***

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