अच्छी फसल के लिए जरूरी है ‘नौतपा’
क्या होता है नौतपा, इस साल 25 मई से 2 जून तक है नौतपा

देहरादून: नौतपा साल के वह 9 दिन होते हैं, जिन दिनों सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है, जिस कारण से इन 9 दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है इसी कारण से इसे नौतपा कहते हैं।
इस वर्ष 25 मई से 2 जून तक नौतपा है। इन दिनों में शरीर तेज़ी से डिहाइड्रेट होता है जिसके कारण डायरिया, पेचिस, उल्टियां होने की संभावना बढ़ जाती है। अतः नीम्बू पानी, लस्सी, मट्ठा (छांछ), खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजे का भरपूर प्रयोग करें, बाहर निकलते समय सिर को ढक कर रखें अन्यथा बाल बहुत तेज़ी से सफेद होंगे, झड़ेंगे। इन दिनों में पानी खूब पिया और पिलाया जाना चाहिए ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो। इस तेज गर्मी से बचने को दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा करें। इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाएं।
ज्योतिष कालगणना के अनुसार जब तप्तग्रह सूर्य, शीतग्रह चन्द्रमा के रोहिणी नक्षत्र में अर्थात् वृष राशि के १० से २० अंश तक रहता है तब नौतपा होता है। इन नौ दिनों में सूर्य पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है। इस नक्षत्र में सूर्य १५ दिनों तक रहता है, किन्तु प्रारम्भ के नौ दिनों में गर्मी काफी बढ़ जाती है। सूर्य के कारण पृथ्वी का तापमान भी नौ दिनों तक सबसे अधिक रहता है, इसलिए नौ दिनों के समय को नौतपा कहा जाता है।
खगोल विज्ञान के अनुसार, नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें धरती पर पर सीधी लम्बवत् पड़ती हैं जिसके कारण तापमान में वृद्धि हो जाती है। शकुन-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि नौतपा के नौ दिनों में गर्मी अधिक रहे, गर्म हवा, लू आदि चले तो ये मानसून में श्रेष्ठ वर्षा का संकेत होता है। यदि इन दिनों में वर्षा, ओलावृष्टि या मामूली छींटे भी पड़ जाते हैं तो मानसून कमजोर हो सकता है। ज्योतिष के ग्रन्थ सूर्यसिद्धान्त और पुराणों में नौतपा का वर्णन आता है।
मूल आलेख :पं_मणिमान्_शास्त्री
नवतपा !
ज्येष्ठ मास में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो नवतपा प्रारंभ होता है और लगभग नौ दिन गर्मी बढ़कर चरम पर रहती है.इस वर्ष सूर्य 24 मई तारीख को रात्रि 3 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं. नौतपा की अवधि 1 जून तक रहेगी.
एक विशेष बात,सूर्य कभी भौतिक रूप से किसी नक्षत्र ( = तारामंडल /constellation) में प्रवेश नही करता है बल्कि पृथ्वी की अक्षीय व कक्षीय गति के कारण विभिन्न समयान्तराल की सूर्य से विभिन्न दूरी व एंगल की स्थितियों में हमें पृथ्वी से ऐसा आभासीय अनुभव होता है.
संजय कुमार त्रिवेदी
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताव।दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाव।
‘नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे।अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुँचाने वाला कीट)।तीसरे दिन से दो दिन लू न चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे।चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे।इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी साँप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।आखिरी दो दिन भी नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी, फसलें चौपट कर देंगी।
राजकुमार पटेल