‘अब नदियों पर संकट है सारे गाँव इकट्ठा हों’
जनकवि डॉ. अतुल शर्मा के निवास पर अंतरराष्ट्रीय नदी दिवस पर हुई विचार गोष्ठी

देहरादून : जनकवि डॉ. अतुल शर्मा के वाणी विहार जैन प्लाट स्थित आवास पर अंतरराष्ट्रीय नदी दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें नदी को बचाने के लिए व्यापक मंथन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत जनकवि डॉ . अतुल शर्मा के गीत ‘पर्वत की चिट्ठी ले जाना तू सागर की ओर, नदी तू बहती रहना’ से हुई। रंजना शर्मा ने ‘कल कल करती नदियाँ और बहते झरने ये सब हैं सौगात हमारे गांव में’ गीत सुनाकर नदी की महत्ता बताई।
गोष्ठी में भाजपा प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने कहा कि उत्तराखंड में गोमुख से निकलने वाली पवित्र गंगा और जमनोत्री से निकलने वाली यमुना देश भर की जीवन रेखा है। इस अवसर पर समाजसेवी व उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती ने कहा कि नदियों पर लगातार संकट खड़ा हुआ है। प्रदूषण से मैली नदियों का बुरा हाल हो चुका है। साथ ही उपस्थित राज्य आन्दोलनकारी राम लाल खंडूरी व जगमोहन सिह नेगी ने बताया कि देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदियों मे कूड़ा भरा हुआ है और बरसातों मे यहाँ बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। संचालन उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन कारी मंच के प्रदीप कुकरेती ने की। विचार गोष्ठी में जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने अपना प्रसिद्ध जन गीत , ” अब नदियों पर संकट है सारे गाँव इकट्ठा हों अब सदियों पर संकट है सारे गांव इकट्ठा हो ” गाकर महत्वपूर्ण सवाल उठाये।
नदियों के संदर्भ में रंजना शर्मा ने कहा कि नदियों को अविरल बनाना अति आवश्यक है। वहीं समाजसेवी देवेंद्र कांडपाल ने नदियों की स्वच्छता पर बल दिया।
गोष्ठी मे प्रियंका, मेघा आदि युवाओं ने भी विचार रखे। संयोजन रंजना शर्मा व रेखा शर्मा ने किया और अध्यक्षता देवेन्द्र कांडपाल ने की।