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निराश्रित बच्चों ने लिखी सफलता की कहानी, बने आत्मनिर्भर 

- महिला कल्याण विभाग की ओर से संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में हुआ कार्यक्रम 

देहरादून: महिला कल्याण विभाग की ओर से मंगलवार को संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में आयोजित एक विशिष्ट कार्यक्रम में उन निराश्रित और दिव्यांग बच्चों की सफलता की कहानियां सुनने को मिली, जो किसी के भी हौसलों को प्रेरणा देने वाली हैं। इस कार्यक्रम में ऐसे बच्चों ने हिस्सा लिया, जिन्हें परिवार ने दिव्यांगता या विपरीत परिस्थितियों के कारण परित्याग कर दिया था।

  इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने बच्चों के साथ संवाद किया और उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा से प्रेरणा प्राप्त की। कार्यक्रम का उद्देश्य उन बच्चों का सम्मान करना था जो राजकीय या स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से पुनर्वासित हुए और आज आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

   कार्यक्रम में महिला कल्याण विभाग के निदेशक  प्रशांत आर्य ने बताया कि आज भाग लेने वाले अधिकांश बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं या विभिन्न व्यावसायिक कोर्स (जैसे बी.टेक, बी.एस.सी, बी.बी.ए, जी.एन.एम, योगा में डिप्लोमा, ब्यूटीशियन कोर्स, कंप्यूटर कोर्स) कर रहे हैं। विभाग की योजनाओं के माध्यम से 104 किशोर-किशोरियों को अब तक पुनर्वासित किया जा चुका है।

    कार्यक्रम में कविता, प्रीति संजना, रजनी गोस्वामी और मीना सरन जैसी कई बच्चियों की प्रेरक कहानियां बताई गई। इन बच्चियों ने समाज द्वारा अस्वीकार किए जाने के बावजूद, अपने हौसले और मेहनत से एक सफल जीवन की ओर कदम बढ़ाया है। इसके साथ ही कार्यक्रम में बाल देखरेख संस्थाओं के माध्यम से पुनर्वासित कई अन्य बच्चों की सफलता की कहानियाँ भी साझा की गईं। इनमें पोक्सो पीड़ित और विधि विवादित किशोर भी शामिल थे, जो आज आत्मनिर्भर होकर सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। इन बच्चों की पहचान गोपनीयता के तहत सुरक्षित रखी गई है।

  इस दौरान निदेशक महिला कल्याण प्रशांत आर्य, मुख्य परिवीक्षा अधिकारी मोहित चौधरी, उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता और राजीव नयन तिवारी उपस्थित रहे।

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