पेपर लीक मामला: प्रदर्शनकारियों ने ठुकराया देहरादून प्रशासन का प्रस्ताव, जारी रखेंगे आंदोलन
पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे बेरोजगारों को समझाने पहुंचे थे डीएम और एसएसपी, प्रदर्शनकारियों ने प्रस्ताव ठुकराया

देहरादून: पेपर लीक प्रकरण के बाद प्रदर्शन कर रहे युवाओं को समझाने शुक्रवार को देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल और एसएसपी अजय सिंह धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों से वार्ता करते हुए धरना समाप्त करने की अपील की, लेकिन बेरोजगार युवाओं ने जिला प्रशासन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया।
डीएम सविन बंसल का कहना था कि छात्र-छात्राओं का भविष्य हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। हमने आंदोलन कर रहे युवाओं को यह समझाने का प्रयास किया गया कि इस मामले में जितने भी इनपुट आए, उसके आधार पर जांच एजेंसियों ने प्रारंभिक जांच करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। आंदोलन कर रहे युवा भी हमारे समाज का ही हिस्सा हैं। स्वाभाविक है कि प्रशासन, राज्य सरकार और मुख्यमंत्री युवाओं के भविष्य को लेकर संवेदनशील हैं।
डीएम सविन बंसल ने कहा कि पिछले 4 सालों में राज्य सरकार के प्रयासों से 25 हजार युवाओं को सरकारी नौकरियां दी हैं। इन सभी नियुक्तियों में निष्पक्षता के साथ पारदर्शिता बरती गई। यह इस बात का प्रतीक है कि प्रदेश सरकार युवाओं के सपनों को साकार कर रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए नकल विरोधी कानून लागू किया। उत्तराखंड नकल विरोधी कानून लागू करने वाला पहला राज्य बना।
जिलाधिकारी ने कहा कि छात्रों को यह भी समझने का प्रयास किया गया है कि जांच एजेंसियों ने सिर्फ हरिद्वार के उस केंद्र तक इन्वेस्टिगेशन को सीमित नहीं रखा है, जहां से परीक्षा पेपर लीक हुआ है। बल्कि पूरे प्रदेश के परीक्षा केन्द्रों पर जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। वहीं उत्तराखंड पेपर लीक केस की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में गठित एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) उत्तराखंड हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस वर्मा की निगरागी में मामले की जांच करेगी।
25 हजार युवाओं को नौकरी देने का दावा: डीएम सविन बंसल ने कहा कि पिछले 4 सालों में राज्य सरकार के प्रयासों से 25 हजार युवाओं को सरकारी नौकरियां दी हैं। इन सभी नियुक्तियों में निष्पक्षता के साथ पारदर्शिता बरती गई। यह इस बात का प्रतीक है कि प्रदेश सरकार युवाओं के सपनों को साकार कर रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए नकल विरोधी कानून लागू किया। उत्तराखंड नकल विरोधी कानून लागू करने वाला पहला राज्य बना।
पेपर लीक जांच के लिए एसआईटी गठित: जिलाधिकारी ने कहा कि छात्रों को यह भी समझने का प्रयास किया गया है कि जांच एजेंसियों ने सिर्फ हरिद्वार के उस केंद्र तक इन्वेस्टिगेशन को सीमित नहीं रखा है, जहां से परीक्षा पेपर लीक हुआ है। बल्कि पूरे प्रदेश के परीक्षा केन्द्रों पर जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। वहीं उत्तराखंड पेपर लीक केस की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में गठित एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) उत्तराखंड हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस वर्मा की निगरागी में मामले की जांच करेगी।
पेपर लीक का पूरा घटनाक्रम
21 सितंबर को यूकेएसएसएससी ने असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर, पटवारी, लेखपाल, ग्राम विकास/ पंचायत अधिकारी समेत ग्रेजुएट लेवल के 416 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की
परीक्षा के दौरान ही प्रश्न पत्र के कुछ पन्ने सोशल मीडिया पर लीक हो गए
परीक्षा से एक दिन पहले यानी 20 सितंबर को देहरादून पुलिस और एसटीएफ उत्तराखंड ने संयुक्त रूप से नकल माफिया हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया
24 सितंबर, 2025 को उत्तराखंड पुलिस ने पेपर लीक के मास्टरमाइंड खालिद मलिक को हरिद्वार से गिरफ्तार किया
खालिद मलिक ने बताया कि उसने कैसे पेपर लीक किया
24 सितंबर को सीएम धामी ने कहा- युवाओं को भड़काने के लिए नकल जिहाद शुरू किया जा रहा है। मैं उन सभी नकल माफियाओं और जिहादियों को बता देना चाहता हूं कि जब तक नकल माफिया को मिट्टी में नहीं मिला दिया जाता हम चैन से नहीं बैठेंगे।
25 सितंबर को राज्य सरकार ने इस मामले की गहनता से जांच के लिए एएसपी जया बलूनी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया. टीम को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया
पेपर लीक में शामिल होने के संदेह में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट और एक असिस्टेंट प्रोफेसर निलंबित। एक दारोगा और एक सिपाही के खिलाफ भी कार्रवाई हुई।
25 सितंबर को सीएम धामी ने कहा- ‘मैं इसको पेपर लीक नहीं कहूंगा, इसे आप नकल का प्रकरण कह सकते हो’।
उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में छात्रों और युवाओं का धरना प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस उन्हें समर्थन दे रही है। छात्रों का कहना है कि गिरफ्तार किए गए लोग सिर्फ मोहरे हैं। असली मास्टरमाइंड अभी भी फरार हैं, इसलिए वे इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।