हरिद्वार मंदिर में रिसीवर की नियुक्ति संबंधी याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब
हरिद्वार स्थित मां चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार की स्थापना आठवीं शताब्दी में जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य ने की थी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरिद्वार स्थित मां चंडी देवी मंदिर के ‘सेवायत’ की ओर से दायर एक याचिका पर उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा। याचिका में बद्री केदार मंदिर समिति को मंदिर के मैनेजमेंट की देखरेख के लिए एक रिसीवर नियुक्त करने के निर्देश देने वाले आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। बता दें कि सेवायत उन पुजारियों को कहते हैं जो मंदिरों के डेली अनुष्ठानों और प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने की। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे और अधिवक्ता अश्विनी दुबे ने हरिद्वार स्थित मां चंडी देवी मंदिर के याचिकाकर्ता महंत भवानी नंदन गिरि का प्रतिनिधित्व किया।
उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारीमां चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार की स्थापना आठवीं शताब्दी में जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य ने की थी और तब से जैसा कि कहा गया है याचिकाकर्ता के पूर्वज एक सेवायत के रूप में इसका प्रबंधन और देखभाल कर रहे हैं। आज सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि बद्री केदार मंदिर समिति द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय याचिका के निर्णय के अधीन होगा और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
मंदिर का नियंत्रण एक समिति को सौंपायाचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बिना किसी सबूत और शिकायत के मंदिर का नियंत्रण एक समिति को सौंप दिया, जबकि हाई कोर्ट ने 2012 में ही हरिद्वार के डीएम और एसएसपी की एक समिति गठित की थी। इसमें तर्क दिया गया है कि रिसीवर नियुक्त करने का निर्देश एक आपराधिक मामले में एक अभियुक्त की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया था।
मंदिर के मुख्य पुजारी की लिव-इन पार्टनर होने का दावायाचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कुप्रबंधन या गबन की कोई शिकायत नहीं है, जिसे हाई कोर्ट के नियुक्त हरिद्वार के डीएम और एसएसपी की समिति ने चिह्नित किया हो। अदालत ने यह आदेश एक महिला द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसने मंदिर के मुख्य पुजारी रोहित गिरि की लिव-इन पार्टनर होने का दावा किया था।
रोहित की पत्नी ने 21 मई को अपने पति, महिला और सात अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि महिला ने 14 मई को उसके बेटे को गाड़ी से कुचलने की कोशिश की थी। उसी दिन, रोहित को पंजाब पुलिस ने छेड़छाड़ के एक अलग मामले में गिरफ्तार कर लिया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। हाई कोर्ट ने पाया कि रोहित उस महिला के साथ रह रहा था जब उसकी तलाक की कार्यवाही लंबित थी, और उसने जनवरी में उनके बच्चे को जन्म दिया।