तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते
कवि, कहानीकार, रंगकर्मी और ब्लागर विजय गौड़ नहीं रहे

देहरादून: कवि, लेखक, रंगकर्मी और ब्लागर विजय गौड़ नहीं रहे। उनका जाना साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। जनकवि डॉ.अतुल शर्मा ने कहा कि भाई विजय गौड़ अपनी गहरी सोच के साथ जीने के प्रति प्रतिबद्ध रहे। फेसबुक में जब विजय के निधन का समाचार पढ़ा तो विश्वास नहीं हुआ। मेरी उनसे पहली मुलाकात एक कवि गोष्ठी से हुई थी। मैंने एक पत्रिका अंक का संपादन किया था। वह हस्तलिखित पत्रिका थी। उसमें उनकी कविता के साथ समीक्षा प्रकाशित की थी।
उत्तराखंड आन्दोलन के दौरान उत्तराखंड सांस्कृतिक मोर्चा मे तैयार नाटक मे शामिल रहे। सैकड़ो जगह प्रदर्शन हुआ उस नाटक और मेरे लिखे जनगीत का। नुक्कड़ नाटकों मे उनके साथ नैनीताल जाना हुआ था। सधा हुआ अभिनय था उनका। विजय गौड़ की ठहाके और गम्भीर टिप्पणियों को कभी भुला नही पाऊंगा। लखनऊ भी गये थे नाटक करने।
बहुत यादें है उनके साथ।
विजय गौड़ का निधन शून्य बो गया है। उन्हें सादर नमन। वे अपने साहित्य में जीवित रहेंगे। विजय गौड़ का ब्लॉग देखो इधर-उधर एक गम्भीर दस्तावेज है, जिसकी अब कमी खलेगी। कुछ दिनों पहले ही उनकी बिटिया के विवाह में शामिल हुआ था। मिलनसार और आत्मीय विजय गौड़ पिछले पचास साल से हमारे परिवार में घुले-मिले रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
विजय गौड़, जिससे कोई बात करते थे, तो लगता था कि एक गहरे व्यक्ति से बात कर रहे हैं। सहमति और असहमति के बीच दोस्त कहीं प्रभावित नही हुई।
पिछले दिनों अपने एक कार्यक्रम की रिपोर्ट भेजी तो विजय ने बहुत अच्छी तरह छाप दी थी। उनके अपने ही मापदंड थे। बहुत याद आएंगे विजय गौड़ के साथ बिताये पल। वे सहज व्यक्ति थे पर सिद्धांत पर अडिग।