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भारतीय संस्कृति को बचाने को आगे आएं कवि: संतोष यादव 

- पद्मश्री एवरेस्ट विजेता संतोष यादव को अपने बीच पाकर प्रफुल्लित हुए कवि और साहित्यकार, दो दिवसीय शिवायन साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन पर्वतारोही संतोष यादव ने किया प्रतिभाग, समाज का दर्पण है साहित्य: भगत सिंह कोश्यारी

हरिद्वार : अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति न्यास साहित्योदय के बैनर तले दो दिवसीय शिवायन अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव का गुरुवार को समापन हो गया। इस साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन सुबह के सत्र में पद्मश्री से सम्मानित एवरेस्ट विजेता संतोष यादव शामिल हुई, जिन्हें अपने बीच पाकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न शहरों से आए साहित्यकार प्रफुल्लित हो गए।

अपने संबोधन में संतोष यादव ने जहां इस आयोजन के लिए महादेव की नगरी हरिद्वार को चुनने के लिए आयोजको को  बधाई दी, वहीं उन्होंने भारतीय संस्कृति सभ्यता के उत्थान के प्रति साहित्यकारों को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कार्य करने का आह्वान भी किया।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारा रहन-सहन और भोजन तीनों में  विकृति आ गई है इसलिए हमें इस वक्त इन सब में सुधार करने की नितांत आवश्यकता है। कवि और साहित्यकार इस कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।

इससे पहले वस्तु एवं सेवा कर के उपायुक्त विजय कुमार ‘द्रोणी’ ने तमाम राज्यों से आए कवियों का स्वागत करते हुए गढ़वाली संस्कृति को जीवन में अपनाने पर जोर दिया। शाम के सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने हिस्सा लिया।  उन्होंने कहा कि भगवान शिव की नगरी हरिद्वार में विभिन्न राज्यों से कवियों का समागम देवभूमि के लोगों के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और कवि समाज को आइना दिखाता है, इसलिए कवियों की जिम्मेदारी अहम हो जाती है।

 कार्यक्रम में साहित्योदय के संरक्षक बुद्धिनाथ मिश्र, संस्थापक अध्यक्ष पंकज प्रियम, उत्तराखंड इकाई की अध्यक्ष शोभा पाराशर, संरक्षक इंदू अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, निशा अतुल्य, अर्चना झा, सुशील झा, दर्द गढ़वाली सुनील पाराशर ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर राकेश रमण, मीरा भारद्वाज, वीणा शर्मा, सुनील साहिल, पत्रकार महताब आलम, कृष्णकांत त्रिपाठी, संजय वर्मा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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