
ग़ज़ल
हर किसी को दुआ दीजिए।
ज़िंदगी से मिला दीजिए।।
झूठ सच में बदल जाएगा।
शोर इतना मचा दीजिए।।
बुझ न जाए कहीं ये दिया।
और इसको हवा दीजिए।।
नींद आती नहीं क्या करें।
आप कुछ मशविरा दीजिए।।
होश में फिर न आएं कभी।
आंख से यूं पिला दीजिए।।
सूझता ही नहीं कुछ हमें।
कोई तो रास्ता दीजिए।।
रोशनी ये सलामत रहे।
जुगनुओं का पता दीजिए।।
है अगर प्यार मुझसे नहीं।
ख़त मेरे सब जला दीजिए।।
‘दर्द’ का इक रहे सिलसिला।
ज़ख़्म हर दिन नया दीजिए।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094