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निखण्या जोग के बहाने उत्तराखंड में फिल्म इंडस्ट्री की दशा और दिशा पर मंथन

- दून लाइब्रेरी में एक भव्य समारोह में गढ़वाली फीचर फिल्म 'निखण्या जोग' का पोस्टर लांच, ट्रेलर भी दिखाया, फिल्म के निर्माता मुनेंद्र सकलानी और आशा सकलानी जबकि निर्देशक हैं देबू रावत

देहरादून : दून लाइब्रेरी में रविवार को आयोजित एक भव्य समारोह में फिल्म निर्माता मुनेंद्र सकलानी और निर्देशक देबू रावत की गढ़वाली फीचर फिल्म “निखण्या जोग” का पोस्टर लांच किया गया। इस दौरान जहां फिल्म का प्रोमो दिखाया गया, वहीं इस बहाने उत्तराखंड में फिल्म इंडस्ट्री की दशा और दिशा पर भी सार्थक चर्चा की गई। साथ ही, क्षेत्रीय भाषाओं, खासकर गढ़वाली फिल्मों के लिए दर्शक न मिलने पर भी मंथन किया गया।


फिल्म निर्माता मुनेंद्र सकलानी ने फिल्म निखण्या जोग के निर्माण के दौरान आई समस्याओं पर चर्चा की, वहीं फिल्म की कहानी भी साझा की। फिल्म निर्देशक देबू रावत ने कहा कि गढ़वाली में फिल्म निर्माण लगातार बढ़ रहा है, यह शुभ संकेत है। उत्तराखंड संस्कृति परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने कहा कि सरकार फिल्म बनाने के लिए सब्सिडी दे रही है, जिससे गढ़वाली में भी अच्छी-खासी फिल्में बन रही हैं। जागर गायक प्रीतम भरतवाण ने फिल्म निर्माता और पूरी टीम को बधाई दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार सोमवारी लाल उनियाल ने कहा कि पृथक राज्य के गठन के बाद भी उत्तराखंड की स्थिति में सुधार न होने पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रही है, तो साहित्यकारों और कलाकारों को आगे आना होगा और समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा। इससे पहले फिल्म दानू भुला के निर्माता गोपाल थापा ने कहा कि उत्तराखंड में फिल्म निर्माण को 42 साल हो गए, लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं में मात्र 62 फिल्में ही बन सकी, जिसमें कुमाऊंनी के हिस्से सिर्फ चार फिल्में आईं। उन्होंने सवाल उठाया कि कुमाऊंनी भाषा में कम फिल्में बनने का कारण क्या है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड फिल्म इंडस्ट्री तभी आगे बढ़ सकती है, जब हम कमियां निकालने के बदले मिलकर इसे मजबूत करें। रंगकर्मी श्रीश डोभाल ने कहा कि यह खुशी की बात है कि गढ़वाली भाषा में फिल्म बन रही हैं, लेकिन इस बात पर हमें मंथन करना होगा कि हम अपनी फिल्में दिखाने के लिए दर्शकों को सिनेमाघरों तक क्यों नहीं ला पा रहे हैं। उन्होंने फिल्म निर्माण में अप्रवासी उत्तराखंडियों से भी मदद लेने का आह्वान किया।

इस मौके पर फिल्म निर्माता अजय जोशी, धीरज रावत, प्रदीप भंडारी, नरेश वोहरा ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में साहित्यकार शिव मोहन सिंह, डॉ. राकेश बलूनी, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत मैती, गणनाथ मोड़ी, सत्यानंद बडोनी, दर्द गढ़वाली, सोमेश्वर पांडे, चंद्रशेखर तिवारी आदि मौजूद थे। अभिनेता मदन डुकलान ने कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन किया।
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पहाड़ी युवक के संघर्षों की कहानी है निखण्या जोग
देहरादून: पहाड़ के एक युवक के संघर्ष, सफलता और फिर एकाएक हुए पतन की कहानी के ताने-बाने पर बनी गढ़वाली फिल्म ‘निखण्या जोग’ को उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी गांव से लेकर देहरादून, दिल्ली और मुंबई तक फिल्माया गया है।फिल्म अप्रैल के दूसरे सप्ताह में सिनेमाघरों में देखने को मिलेगी।
फिल्म के गीतकार हैं सत्येंद्र फरिंडिया, संगीतकार अमित वी कपूर, डी ओ पी मनोज सती, सिनेमेटोग्राफर नागेंद्र प्रसाद, मेकअप आर्टिस्ट विकेश बाबू, क्रिएटिव डायरेक्टर मनोज चौहान, सह निर्देशक विजय भारती कहानीकार व कार्यकारी निर्माता डॉक्टर एम आर सकलानी, निर्मात्री आशा सकलानी हैं। फिल्म में मोहित घिल्डियाल, प्राची पंवार, मानसी शर्मा, पूनम नैथानी, संजय बडोनी, रवि ममगाईं आदि कलाकारों ने भूमिका निभाई है।

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