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अयोध्या में रामलला इस शुभ मुहूर्त पर होंगे विराजमान

इस दौरान मंगलध्वनि में गूंजेंगे कई राज्यों के वाद्य यंत्र

देहरादून/अयोध्या: सोमवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विधिवत श्रीगणेश जो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि में नव-निर्मित मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम प्रमुख हस्तियों की इस अवसर पर मौजूदगी रहेगी। गौरतलब है कि भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सोमवार दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड यानी सिर्फ 84 सेकेंड का शुभ मुहूर्त है, जिसमें भगवान श्री राम के नेत्र सोने की सिलासा से खोले जाएंगे। पंचांग के अनुसार 22 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग और मृगशिरा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है, जो अत्यंत शुभ माना जा रहा है।

  प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत ‘मंगल ध्वनि’ से होगी। पूरे दो घंटे तक श्रीराम मंदिर परिसर 18 राज्यों से पहुंचे 50 से अधिक लोक और शास्त्रीय वाद्ययंत्रों की मंगल ध्वनि की गूंज का साक्षी बनेगा। उत्तराखंड के प्रमुख लोकवाद्य ‘हुड़का’ को भी इस मंगल ध्वनि में समवेत होने का सौभाग्य मिला

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से इस संबंध में अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा की है। इस पोस्ट में कहा गया है कि भक्तिभाव से विभोर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में प्रात: काल 10 बजे से ‘मंगल ध्वनि’ का भव्य वादन होगा। 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र, विभिन्न राज्यों से लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे।

 

इसमें बताया गया है कि अयोध्या के यतींद्र मिश्र इस भव्य मंगल वादन के परिकल्पनाकार और संयोजक हैं, जिसमें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने सहयोग किया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कहा है कि यह भव्य संगीत कार्यक्रम हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है, जो प्रभु श्रीराम के सम्मान में विविध परंपराओं को एकजुट करता है।

 

‘मंगल ध्वनि’ के लिए उत्तर प्रदेश से पखावज, बांसुरी व ढोलक, कर्नाटक से वीणा, पंजाब से अलगोजा, महाराष्ट्र से सुंदरी, उड़ीसा से मर्दाला, मध्य प्रदेश से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नगाड़ा व काली, छत्तीसगढ़ से तंबूरा, दिल्ली से शहनाई, राजस्थान से रावणहत्था, पश्चिम बंगाल से श्रीखोल व सरोद, तमिलनाडु से नागस्वरम, तविल और मृदंगम, आंध्र प्रदेश से घटम, झारखंड से सितार, बिहार से पखावज और उत्तराखंड से हुड़का को शामिल किया गया है।

 

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