उत्तराखंडपुरस्कार/सम्मानस्मृति/यादें

हमेशा जिंदा रहेंगी रीता शर्मा, जन्मदिन पर किया याद

धरातल की ओर से कवयित्री स्व. रीता शर्मा की स्मृति में दिया जाता है सम्मान 

देहरादून: शिक्षाविद और सुप्रसिद्ध कवयित्री स्व. रीता शर्मा को गुरुवार को उनके जन्मदिन पर याद किया गया। रीता शर्मा के भाई जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने उनकी यादों को साझा किया।

  डॉ. शर्मा ने बताया कि रीता शर्मा एमकेपी इंटर कॉलेज में पढ़ाती थीं। अल्पायु में ही कैंसर से उनका निधन हो गया था। वह बहुत सशक्त कवयित्री थीं। उनकी कविताएं सदैव हमारे साथ रहेंगी। रीता शर्मा धरातल, दून बाल नुक्कड़ नाटक दल की संस्थापक रहीं। उन्होंने आपातकाल चिपको आन्दोलन, उत्तराखंड आन्दोलन में भी भागीदारी की थी।

 जनकवि अतुल शर्मा ने बताया कि उनकी याद में हर वर्ष रीता शर्मा स्मृति सम्मान प्रदान किया जाता है। अब तक लोकगायिका संगीता ढौढियाल, प्रकाशक रानू बिष्ट,( देहरादून), महेश चिटकारिया ( ऋषिकेश) सुनील दत्त थपलियाल (ऋषिकेश), दुर्गा नौटियाल ( ऋषिकेश) जय कृष्ण पैन्यूली ( श्रीकोट), प्रबोध उनियाल ( ऋषिकेश), दिलराज कौर ( देहरादून), सुशील यादव ( देहरादून) पूनम शर्मा ( देहरादून)आदि बहुत सी प्रतिभाशाली लोगों को यह सम्मान दिया जा चुका है।

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रीता शर्मा के कविता संग्रह है  ‘संघर्ष में सत्य’ से एक कविता,,,,

 

साधक के वेष में

पर्वत के देश में

पैर खड़ा हुआ

गुनगुनाया देवदार

हाथ को पसार कर

हरा शाल डाल कर

पर्वत की रक्षा में

खड़ा रहा देवदार

अतिथी के स्वागत में

कोहरे की चादर में

पर्वत की रक्षा में

खड़ा रहा देवदार।

 

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