बजट सत्र के पहले ही दिन हंगामा, कांग्रेस का वाकआउट, कार्यवाही स्थगित
-कांग्रेस ने सत्र की अल्प अवधि को लेकर उठाए सवाल, अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने के लिए की नारेबाजी, विपक्ष के सदन से वाकआउट के बीच राज्यपाल ने पढ़ा अभिभाषण, दोपहर बाद विधानसभा अध्यक्ष के अभिभाषण पाठ के दौरान भी टोका-टाकी, कार्यवाही स्थगित

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र का पहला दिन ही हंगामे की भेंट चढ़ गया। कांग्रेस ने ‘राज्यपाल वापस जाओ, अंकिता को न्याय दो’ के नारे लगाए। विपक्षी दल कांग्रेस ने भारी शोरशराबे के बीच सदन से वाकआउट कर दिया। कांग्रेस का आरोप था कि सत्र की अवधि बहुत कम रखी गई है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि राज्यपाल का अभिभाषण हंगामे के बीच भी जारी रहा। दोपहर बाद तीन बजे जब विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण खंडूड़ी ने सदन में राज्यपाल के अभिभाषण का पाठ किया, तो कांग्रेस ने नियमों का हवाला देते हुए बजट सत्र की अवधि कम से कम चार दिन करने की मांग करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की, संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कुछ कहना चाहा, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया, इस पर विधानसभा की कार्यवाही बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत मंगलवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) के अभिभाषण से हुई, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने इसे लेकर जमकर विरोध किया। कांग्रेस के तमाम विधायकों ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान नारेबाजी की और सत्र की अवधि को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। विपक्षी विधायकों ने सत्र की अवधि मात्र तीन दिन रखने को अनुचित बताया। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि इतने कम समय में जनता के सवालों पर समुचित चर्चा संभव नहीं है। धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने भी सत्र अवधि को लेकर सवाल खड़े किए हैं। हरीश धामी का कहना है कि जब तक विधायक को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलेगा तो सत्र में उनकी भूमिका निष्क्रिय रहेगी, इसलिए समय अवधि को बढ़ाना चाहिए और जो भी जनहित के मुद्दे हैं उसे पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा होनी चाहिए। इसलिए सरकार को सत्र की अवधि को बढ़ाकर सभी विषयों पर पूर्ण चर्चा करनी चाहिए। मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार अक्सर सवालों से बचना चाहती है और इसीलिए सत्र की अवधि कम रखती है। प्रतिपक्ष नेता यशपाल आर्य ने भी कहा कि इतनी कम अवधि में जनता के तमाम मुद्दों पर चर्चा संभव नहीं है, इसलिए सत्र की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए। हंगामा होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार तक के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
इससे पहले, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने विपक्ष के विरोध पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में एजेंडा तय किया जाता है, तब विपक्ष के नेता चुप क्यों रहते हैं? अब मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं, जो निराधार हैं।
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संसदीय कार्यमंत्री और कांग्रेस विधायक के बीच तू-तू, मैं-मैं
जैसे ही राज्यपाल ने अभिभाषण शुरू किया तो नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग कर दी। इसी मांग को लेकर सदन में हंगामा हुआ और विपक्ष को वॉक आउट के लिए मजबूर होना पड़ा। इन सबके बीच, राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के बीच तू-तू, मैं-मैं भी हुई। स्थिति गर्म होते देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हस्तक्षेप करना पड़ा, जबकि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मदन बिष्ट को शांत कराया। मदन बिष्ट ने कहा कि सदन कैसे चलता है और सदन की क्या परंपरा है ये कांग्रेस को भी पता है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी के विधायक शहजाद ने भी सत्र की मियाद बढ़ाए जाने का समर्थन किया है।
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किसी ने सराहा किसी ने जताया विरोध
विधानसभा बजट सत्र की डिजिटल और पेपरलेस शुरुआत हुई, तो नए सिस्टम को किसी ने सराहा, तो किसी ने सवाल खड़े कर दिए। देहरादून में डिजिटल विधानसभा का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। खुद मुख्यमंत्री ने अपने सामने लगे टैब को ओपन किया। विधानसभा में अब पेपर का प्रयोग न के बराबर होगा। विधायकों को हर डिटेल, डॉक्यूमेंट और इंफोर्मेशन सामने लगे टैब पर मिलेगी। डिजिटल युग में डिजिटल विधानसभा को भाजपा के विधायकों ने अच्छा कदम बताया। सरकार के विधायकों ने डिजिटल सिस्टम को सराहा, तो विपक्ष के विधायकों ने पहले दिन ही सवाल खड़े कर दिए। किसी ने बिना ट्रेनिंग के शुरुआत की बात कही, तो किसी ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण ही टैब पर नहीं मिला।