वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बब्बर गुरुंग का निधन
राज्य आंदोलनकारियों ने जताया शोक, शुक्रवार को होगा अंतिम संस्कार, जनकवि डॉ. अतुल शर्मा का जनगीत खूब गाते थे गुरुंग

देहरादून : वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी बब्बर गुरुंग का बुधवार को निधन हो गया। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान, उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारी मंच के जिला प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती और मोहन सिंह खत्री ने अपनी फेसबुक वॉल में यह जानकारी साझा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। गुरुंग का अंतिम संस्कार शुक्रवार को सुबह 10 बजे गढ़ी कैंट स्थित टपकेश्वर घाट पर होगा।
उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के दौरान 1994-95 में बब्बर गुरुंग मशाल जुलूस, प्रभात फेरी, भूख हड़ताल, रैलियों, पोस्टर जनगीत, नुक्कड़ नाटक, विचार गोष्ठियों, स्मारिकाओं, कविताओं, जोशीले भाषणों के दौरान आंदोलनकारियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराया करते थे। गुरुंग हमेशा वरिष्ठ आन्दोलनकारी के रूप में याद किये जाएंगे। राज्य आंदोलनकारी रामलाल खंडूरी ने बताया कि बब्बर गुरुंग 1995 में 29 दिनों की भूख हड़ताल पर, जंतर मंतर दिल्ली में चन्द्र मणि नौटियाल के साथ रहे।
देहरादून में राज्य आन्दोलन की हर गतिविधियों में अग्रिम पंक्ति में रहे। राज्य आन्दोलन कारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी के नेतृत्व में मंच द्वारा उनके घर जाकर गत वर्ष सम्मानित भी किया गया था। नई पीढ़ी उनसे प्रेरणा लेकर राज्य आंदोलन के संघर्ष को याद करेगी। वे राज्य आन्दोलन के महत्वपूर्ण व नेतृत्वकारी शक्तियों में से एक रहे।
जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने बताया कि वर्ष 1995 में हुई रैली में रणजीत सिंह वर्मा, सुशीला बलूनी, वेद उनियाल और भाई बब्बर गुरुंग ने उनका जनगीत ‘लड़ के लेंगे भिड़ के लेंगे उत्तराखंड’ रास्ते भर गाया और लोगों ने उसे दोहराया। डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि गुरुंग को उनका पूरा जनगीत याद था, जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है।