तो उत्तराखंड सरकार को हो सकता है दो हजार करोड़ का घाटा !
-पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से होगा नुकसान, हालांकि पेट्रोल-डीजल हो जाएगा सस्ता, पेट्रो उत्पादों और शराब पर वैट से उत्तराखंड सरकार को फिलहाल हो रही 2400 करोड़ की सालाना आमदनी

*लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
देहरादून: पेट्रो उत्पादों से वैट हटाकर जीएसटी लागू किए जाने का मामला राजनीति में उलझकर रह गया है। केंद्र सरकार कई बार पेट्रो उत्पादों पर जीएसटी लागू करने की बात कह चुकी है, लेकिन गैर-भाजपा शासित राज्य इसके आड़े आ-जा रहे हैं। हालांकि यह मुद्दा इतना आसान नहीं है, जितना समझा या समझाया जा रहा है।
दरअसल, पेट्रो उत्पाद और शराब ही राज्य सरकारों की आमदनी का मुख्य जरिया है। इन्हीं वस्तुओं से सरकार को ज्यादा टैक्स मिलता है। उत्तराखंड की ही बात करें, तो इन वस्तुओं पर वैट हटाने से सालाना दो हजार करोड़ का सीधा घाटा सरकार को झेलना पड़ जाएगा। केंद्र की सत्ता में आसीन भाजपा शासित राज्य के नुमाइंदे भले ही यह कह रहे हों कि गैर-भाजपा शासित राज्य जनता का भला नहीं चाहते। वह इसके समर्थन में यह तर्क देते हैं कि वैट हटाकर जीएसटी लागू करने से पेट्रो उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और जनता को इसका सीधा लाभ होगा। लेकिन, केंद्र सरकार को इसका श्रेय न मिले, इसीलिए कांग्रेस या विपक्ष दलों की सरकारें जीएसटी का विरोध कर रही हैं।
लेकिन मामला इतना आसान नहीं है। उत्तराखंड की ही बात करें, तो राज्य में जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुआ। जीएसटी लागू होने से पहले उत्तराखंड सरकार को आठ हजार करोड़ रुपए टैक्स मिलता था, जो जीएसटी लागू होते ही तीन हजार करोड़ पर आ गया। यानी उत्तराखंड सरकार की सालाना आमदनी पांच हजार करोड़ घट गई। राहत की बात यह है कि केंद्र सरकार ने कुछ समय तक इस घाटे की भरपाई की, लेकिन अब केंद्र की तरफ से इस मद में कोई पैसा नहीं आ रहा है।
आंकड़ों की बात करें तो वैट के कारण उत्तराखंड सरकार को पेट्रो उत्पादों और शराब से वर्ष 2014-15 में 1157 करोड़ रुपए टैक्स मिल रहा था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर फिलहाल 2390 करोड़ रुपए हो गया। राज्य कर के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि यदि पेट्रो उत्पादों से वैट हटाया जाता है तो सरकार को दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का सालाना घाटा उठाना पड़ सकता है, जिसका असर विकास कार्यों पर भी पड़ सकता है। बहरहाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नीत भाजपा शासित उत्तराखंड सरकार भले ही केंद्र की डबल इंजन सरकार के नाते पेट्रो उत्पादों से वैट हटाकर जीएसटी लागू करने को तैयार हो, लेकिन आने वाले समय में यह घाटे का सौदा ही साबित होगा।