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सोमवारी लाल उनियाल व अतुल शर्मा को उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान से किया सम्मानित

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को हिंदी दिवस पर आईआरडीटी सभागार में आयोजित ‘उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान समारोह’ में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश व देश भर से पधारे साहित्यकारों, कवियों तथा भाषा प्रेमियों को संबोधित किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने साहित्यकार शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी, शेरदा अनपढ़ एवं हीरा सिंह राणा को मरणोपरान्त “उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान 2025” से सम्मानित किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सोमवारी लाल उनियाल व अतुल शर्मा को भी उत्तराखण्ड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने वाले महान साहित्यकारों को ‘दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’ से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने उन सभी साहित्य साधकों को शुभकामनाएँ दीं जो अपनी रचनात्मकता से सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के माध्यम से राज्य के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने के लिए ठोस कार्य कर रही है। सरकार स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए भी सतत प्रयास कर रही हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी समृद्ध भाषायी विरासत से जुड़ी रहें।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, शैलेश मटियानी, गिर्दा, शेर दा ‘अनपढ़’ और ‘हिरदा’ जैसे रचनाकारों को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया। उन्होंने कहा कि इस सभी ने उत्तराखण्ड के जीवन, संघर्ष और संस्कृति को अपनी रचनाओं में जीवंत किया है। समकालीन रचनाकारों में अतुल शर्मा, प्रसून जोशी, और उनियाल जी जैसे साहित्यकार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि “उत्तराखण्ड भाषा संस्थान” के माध्यम से हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के विकास हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा ‘उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान’, ‘साहित्य भूषण’, ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कारों के माध्यम से साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है और नई पीढ़ी के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उन्हें प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।

समारोह में मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि “दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान” के अंतर्गत साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों को ₹5 लाख की पुरस्कार राशि प्रदान की जा रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि सरकार द्वारा दो ‘साहित्य ग्राम’ स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें साहित्यकारों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे उत्तराखण्ड को एक साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में अहम प्रगति होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कक्षा 6 से लेकर डिग्री और यूनिवर्सिटी स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं, जिसके माध्यम से 100 से अधिक युवा रचनाकारों को पुरस्कृत भी किया गया है। हमारी सरकार ने बीते दो वर्षों में 62 साहित्यकारों को उनकी पुस्तकों के प्रकाशन हेतु अनुदान भी प्रदान किया है। इस वर्ष भी हमने पुस्तक प्रकाशन को प्रोत्साहित करने के लिए ₹25 लाख के विशेष बजट का प्रावधान किया है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल, भाषा संस्थान की निदेशक जसविंदर कौर व प्रदेश के कई गणमान्य अतिथि, शिक्षाविद्, साहित्यकार, छात्र एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।

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‘शहीदों की शहादत को कभी बदनाम मत करना’

देहरादून: उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से रविवार को हिंदी दिवस कार्यक्रम दो चरणों में हुआ।आईआरडीटी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में पहले चरण में सम्मान समारोह हुआ और इसके बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

   कवि सम्मेलन से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने जनकवि डॉ. अतुल शर्मा और सोमवारी लाल उनियाल को उत्तराखंड दीर्घकालीन हिंदी साहित्य सेवी सम्मान से सम्मानित किया। दूसरे चरण में कवियों का सम्मान किया गया और इसके बाद फिर विधिवत कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई। ओज के प्रसिद्ध कवि श्रीकांत श्री ने अपने मुक्तक ‘भले ही दीप से पूजा तू आठोयाम मत करना, मिले कोई मोहल्ले में तो राधेश्याम मत करना, नमन करना या मत करना कोई कुछ न कहेगा पर, शहीदों की शहादत को कभी बदनाम मत करना’ से श्रोताओं का दिल जीत लिया। इस मौके पर वरिष्ठ कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, युवा शायर चराग शर्मा, हिमांशी बाबरा,  वरूण आनंद,  श्रुति वत्स, नीता कुकरेती, अवनीश मलासी, सागर डंगवाल आदि ने भी अपनी रचनाएं सुनाई।

 

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