सीएम ने दूरस्थ घाटी अधिसूचना को निरस्त करने का दिया सुझाव
- मुख्यमंत्री धामी ने वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद् की बैठक में राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए, सीमांत गांवों में सुविधाओं के विकास, भारत नेट और संचार सेवाओं के विस्तार पर जोर

देहरादून/वाराणसी: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को वाराणसी में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अध्यक्षता में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद् की बैठक में राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया।
बैठक के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, संचार और सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के माध्यम से अधिक सहयोग का आग्रह किया। साथ ही वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत सीमांत गांवों में सुविधाओं के विकास, भारत नेट और सैटेलाइट संचार सेवाओं के शीघ्र विस्तार पर अपने विचार रखे।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुदान प्रक्रिया को सरल बनाने, 1989 की दूरस्थ घाटी अधिसूचना को निरस्त करने और मानसून के दौरान उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, अतिवृष्टि व बादल फटने जैसी आपदाओं से सड़कों को होने वाली क्षति के दृष्टिगत प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सुचारू संचालन हेतु राज्य को अतिरिक्त सहयोग देने की आवश्यकता पर सुझाव दिए। राज्य में ग्लेशियर अध्ययन केंद्र, जैव विविधता संरक्षण संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय साहसिक खेल प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा। साथ ही नंदा राजजात यात्रा (2026) और 2027 के कुंभ मेले के सफल आयोजन हेतु केंद्र सरकार से सहयोग का अनुरोध किया।
धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हम वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के विकल्प रहित संकल्प को पूर्ण करने हेतु पूरी प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य कर रहे हैं। हमारी सरकार भी इसी लक्ष्य के अनुरूप प्रदेश को विकसित उत्तराखंड के रूप में स्थापित करने के लिए तीव्र गति से कार्य कर रही है, ताकि राज्य का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके और “विकसित भारत” के निर्माण में सक्रिय भागीदार भी बन सके।