हाथरस की घटना से उत्तराखंड पुलिस भी सतर्क
-अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान ने भीड़ प्रबंधन को लेकर की व्यापक समीक्षा, वीडियो कांफ्रेंसिंग में आईजी, डीआईजी और अन्य पुलिस अधिकारियों को दिए दिशा-निर्देश, उत्तराखंड में भी धार्मिक आयोजनों में भगदड़ मचने से हो चुके हैं हादसे

देहरादून: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 मौतों की घटना के बाद उत्तराखंड पुलिस भी सतर्क हो गई है। अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने बुधवार को समस्त रेंज/जनपद प्रभारियों, आईजी सुरक्षा, डीआईजी अपराध एवं कानून व्यवस्था और पुलिस अधीक्षक, रेलवेज के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से विभिन्न मेलों, धार्मिक आयोजन एवं अन्य अवसरों पर भीड़ प्रबन्धन को लेकर की जा रही कार्रवाई की समीक्षा करने के बाद कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।
उत्तराखंड में भीड़ प्रबंधन पर पुलिस और प्रशासन का विशेष नियंत्रण इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि राज्य में चार धाम यात्रा के साथ ही दूसरी तमाम यात्राओं और मेलों के आयोजन होते रहते हैं। राज्य में भी धार्मिक आयोजन होने के दौरान भगदड़ के पूर्व में कई मामले आए हैं, जिसमें लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। इसमें 8 नवंबर 2011 को हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर हरकी पैड़ी घाट पर भगदड़ मच गई थी, जिसमें 20 लोगों की जान चली गई थी, वहीं घटना में 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
पुलिस मुख्यालय के स्तर पर की गई समीक्षा के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं, जिसमें जिलों में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन से पहले संभावित भीड़ को लेकर आकलन किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा कार्यक्रम स्थल में प्रवेश और निकासी से लेकर पार्किंग की स्थिति देखने के बाद अनुमति देने के निर्देश दिए हैं। स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना अनुमति के किसी भी कार्यक्रम को आयोजित नाश होने दिया जाए और सभी कार्यक्रमों पर विशेष रूप से निगरानी रखी जाए।
जिलों में होने वाले ऐसे तमाम कार्यक्रमों के लिए एसओपी तैयार की जाए, जबकि पुलिस मुख्यालय के स्तर पर भी बड़े कार्यक्रमों की एसओपी तैयार हो, जिन्हें जिलों को भेजा जाए। राज्य में आयोजित होने वाले ऐसे कार्यक्रमों का वार्षिक कैलेंडर भी तैयार किया जाए, जिसके आधार पर पुलिस प्रबंधन को सुनिश्चित किया जाए। कहा कि किसी भी बिना अनुमति वाले कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाए। किसी भी मिले या धार्मिक आयोजनों की आयोजकों द्वारा 15 दिन पहले अनुमति आवेदन के रूप में दी जाए इसके लिए सभी को जानकारी देने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाए।