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उत्तराखंड में न्याय को तरस रहे उपभोक्ता

-सरकारी दावे बेमानी, करीब दो साल से 4562 केस फैसले के इंतजार में -राज्य उपभोक्ता आयोग में भी अध्यक्ष का पद खाली, 921 केस लंबित

लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
देहरादून: उत्तराखंड में उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के सरकारी दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। कारण, 13 जिला उपभोक्ता आयोग में 12 आयोग में अध्यक्ष ही नहीं हैं, जिससे फैसले नहीं हो पा रहे हैं। किसी जिले में तो यह पद डेढ़ से दो साल से खाली पड़ा है। राज्य उपभोक्ता आयोग में स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है। वहां भी अध्यक्ष का एक पद खाली पड़ा है और 921 केस लंबित पड़े हैं।
हरिद्वार में तो उपभोक्ता आयोग में एक साल से सुनवाई नहीं हुई है, जबकि देहरादून में वादों की अंतिम सुनवाई सितंबर 2022 को हुई। देहरादून में जिला उपभोक्ता आयोग में 31 अगस्त तक सर्वाधिक
1582 वाद लंबित हैं, जबकि हरिद्वार में 1386 केस लंबित पड़े हैं। यह हाल तब है, जब नैनीताल हाईकोर्ट को जिला उपभोक्ता आयोग में खाली पड़े पदों को भरने के लिए खुद संज्ञान लेना पड़ा था। हाईकोर्ट में इस मामले में पिछले साल 14 दिसंबर को सुनवाई हुई थी।
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग मेें अध्यक्ष का पद चार जनवरी 2024 से तथा सदस्य (न्यायिक) तथा सदस्य (सामान्य) के पद एक जनवरी 2022 से रिक्त हैं, जबकि 13 जिलों में से 12 जिला आयोगों के अध्यक्षों के पद रिक्त हैं। इसमें देहरादून का मार्च 2022 से, हरिद्वार का दिसम्बर 2022 से, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ के अध्यक्षों के पद मई 2023 तथा उधमसिंह नगर के उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष का पद दिसम्बर 2023 से खाली हैं।

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अब नियुक्ति का इंतजार
देहरादून: दरअसल, अब अध्यक्ष और सदस्यों के लिए लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती होती है। पहले यह पद मनोनीत होते थे, या इन पर शासन स्तर से फैसला होता था। लेकिन अब इन पदों पर भर्ती के लिए बाकायदा लिखित परीक्षा और साक्षात्कार होता है। पदों पर लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर चयन हो चुका है, लेकिन नियुक्ति को हरी झंडी शासन स्तर से दी जानी है, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आयोग को कुल 13 पदों के लिये 632 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। इसमें से 52 प्रतिशत 331 आवेदक ही लिखित परीक्षा में बैठे। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष के लिए केवल एक आवेदन प्राप्त हुआ। आवेदक परीक्षा में शामिल नहीं हुआ, इसलिए इसका विवरण चयन व श्रेष्ठता सूची में नहीं हैं। राज्य आयोग के सामान्य सदस्य एक पद के लिए 185 आवेदकों ने आवेदन किया। जिसमें से 93 परीक्षा में बैठे तथा सर्वाधिक 166 अंक प्राप्त करके चन्द्र मोहन सिंह को चयनित घोषित किया गया। राज्य उपभोक्ता आयोग के न्यायिक सदस्य के एक पद के लिये 14 आवेदकों ने आवेदन किया, 5 परीक्षा में बैठे तथा सर्वाधिक 134 अंक प्राप्त करके मुकेश कुमार सिंघल चयनित घोषित हुये। जिला आयोग के अध्यक्षों के 3 पदों के लिये 46 आवेदकों ने आवेदन किया, जिसमें से 30 परीक्षा में शामिल हुये तथा सर्वाधिक 164 अंक प्राप्त करके पुष्पेंद्र खरे, 163 अंक प्राप्त कर गगन कुमार गुप्ता तथा 160 अंक प्राप्त कर राजीव कुमार खरे चयनित घोषित किये गये।
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जिला उपभोक्ता आयोग में लंबित केस
देहरादून-1582
हरिद्वार-1386
अल्मोड़ा-516
ऊधमसिंह नगर-308
नैनीताल-198
पौड़ी-111
चमोली-109
उत्तरकाशी-100
पिथौरागढ़-56
टिहरी-55
चम्पावत-47
बागेश्वर-49
रुद्रप्रयाग-45
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कुल-4562
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यह हैं उपभोक्ताओं के अधिकार

-उपभोक्ताओं को सुरक्षा का अधिकार है, जिसके तहत उपभोक्ता को अपने हितों की सुरक्षा को देखते हुए बाजार में मौजूद उत्पादों की गुणवत्ता को जानने का अधिकार है.
-उपभोक्ता को सूचित होने का अधिकार है, जिसके तहत मालों, उत्पादों, सेवा की क्वालिटी, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में जानने का अधिकार है.
-उपभोक्ता को चयन करने का अधिकार है. उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद या सेवा को लेने के दौरान उसे चयन करने का अधिकार है कि वो किस तरह का या कि वो किस तरह का या किस कंपनी का उत्पादन लेना चाहता है।
-उपभोक्ता को सुनवाई का अधिकार है, जिसके तहत उपभोक्ता को किसी भी तरह की दिक्कत या शिकायत के लिए बेहतर मंच मिलने का अधिकार है।
-उपभोक्ता को समस्या के समाधान और कंपनसेशन का अधिकार है, जिसके तहत अगर उपभोक्ता को किसी भी प्रकार के शोषण की शिकायत करता है तो उसकी समस्या का समाधान और कंपनसेशन की मांग का भी अधिकार है।
-उपभोक्ता को जागरूकता का अधिकार है, जिसके तहत उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने के लिए ‘उपभोक्ता शिक्षा के अधिकार’ का अधिकार है।

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