चिट्ठियों के खेल में उलझा पीटीए शिक्षकों का भविष्य
- शिक्षा निदेशालय (माध्यमिक) की ओर से 25 अप्रैल को मुख्य शिक्षा अधिकारियों को जारी हुई थी चिट्ठी, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने आठ मई को अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से मांगा पीटीए शिक्षकों का विवरण, निदेशालय को भेजे गए विवरण में गड़बड़ी मिली तो मुख्य शिक्षा अधिकारी ने 15 मई को फिर भेजी चिट्ठी

– लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
देहरादून: प्रदेश भर में अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सैकड़ों पीटीए शिक्षकों का भविष्य चिट्ठियों के खेल में उलझकर रह गया है। इन पीटीए शिक्षकों की मांग राजकीय विद्यालयों की तरह मानदेय देने की है। फिलहाल इनमें से कई शिक्षकों को दिहाड़ी मजदूरों से भी कम मानदेय दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि संबंधित पीटीए शिक्षक पिछले 53 दिनों से शिक्षा निदेशालय (माध्यमिक) के गेट के बाहर तपती गर्मी और भारी बारिश के बीच धरना दे रहे हैं, लेकिन इतने दिनों के बाद भी इन्हें राजकीय मानदेय दिलाने के लिए कोई ठोस नीति बनाने की पहल तो छोड़िए, आश्वासन तक नहीं दिया गया। हां अधिकारियों और प्रबंधन के बीच चिट्ठी-चिट्ठी खेल अवश्य चला, जो आज भी जारी है।
चिट्ठियों के इस खेल की बात करें तो राजधानी देहरादून स्थित शिक्षा निदेशालय (माध्यमिक) की ओर से तमाम जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को 25 अप्रैल को एक चिट्ठी जारी की गई, जिसमें कट आफ डेट 30 जून 2016 के बाद अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त पीटीए शिक्षकों का विवरण मांगा गया। इसके बाद 08 मई 2025 को देहरादून जिला शिक्षा अधिकारी वीके ढौंडियाल ने जनपद में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए शिक्षकों का विवरण मांगा। यही नहीं, 15 मई को अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को फिर एक पत्र जारी कर निदेशालय के 25 अप्रैल और मुख्य शिक्षा अधिकारी की ओर से आठ मई को भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा गया कि कतिपय जनपदों से ऐसे पीटीए शिक्षकों का विवरण दिया गया, जो निर्धारित योग्यता नहीं रखते हैं। बहरहाल 15 मई को भेजे गए इस पत्र में तीन दिन के भीतर निर्धारित योग्यताधारी पीटीए शिक्षकों का विवरण मांगा गया, लेकिन चिट्ठी जारी होने के 10 दिन बाद भी धरना दे रहे शिक्षकों को ठोस आश्वासन नहीं मिला है। नतीजतन उनका धरना आज 53वें दिन में प्रवेश कर गया।
निदेशालय गेट के बाहर धरने पर बैठे आंदोलनरत पीटीए शिक्षक उपेंद्र दत्त बहुगुणा, विनोद राणा, शुभम भट्ट, सुमित कुमार, विवेक बिष्ट, गौरव सिंह, रीना शर्मा और रेखा पंवार ने बताया कि वह शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और भाषा मंत्री सुबोध उनियाल को भी मांग पत्र दे चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि वह अपने विद्यालय में बेहतर परिणाम दे चुके हैं, बावजूद उन्हें राजकीय मानदेय देने तक की जहमत नहीं उठाई जा रही है।
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तो सरकारी नौकरी को आवेदन भी नहीं कर पाएंगे
देहरादून: अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में पिछले आठ साल के दौरान कई पीटीए शिक्षक नियुक्त किए गए। नियमित नियुक्ति की आस में इन पीटीए शिक्षकों ने विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य तो शुरू कर दिया, लेकिन नियमित तो क्या होते उल्टा इन्हें मनमाने तरीके से मानदेय दिया जा रहा है, जिससे यह लोग भविष्य के प्रति आशंकित हैं। इनमें से कुछ शिक्षक तो 40 साल की आयु पूरी करने वाले हैं और किसी सरकारी नौकरी में आवेदन की अहर्ता भी खो देंगे।
अपने भविष्य के प्रति आशंकित अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत इन पीटीए शिक्षकों ने न्यूनतम राजकीय मानदेय की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इस पर विवश होकर बीते आठ अप्रैल से यह लोग देहरादून में शिक्षा निदेशालय (माध्यमिक) के गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। पिछले 53 दिनों से यह शिक्षक धरने पर बैठे हैं, लेकिन न तो किसी अधिकारी ने और न ही मंत्री ने इनकी सुध ली है।
हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2003, 2007, 2011 और 2016 में कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने पीटीए शिक्षकों को राजकीय मानदेय से लाभान्वित किया है, बावजूद इसके समय-समय पर आंदोलित पीटीए शिक्षकों के लिए कोई नियमावली नहीं बनाई। नतीजतन निर्धारित योग्यता के बावजूद भी कई पीटीए शिक्षक मजदूरों से भी कम दिहाड़ी पर पठन-पाठन को विवश हैं।
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धन्यवाद के बाद भी यह हाल
उत्तरांचल प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र सुयाल एवं प्रदेश महामंत्री अवधेश कुमार कौशिक ने आंदोलनरत पीटीए शिक्षकों की मांगों का समर्थन करते हुए 16 मई को शिक्षा मंत्री को पत्र सौंपा था। शिक्षा मंत्री की तरफ से भी निदेशक को उत्तराखंड में कार्यरत पीटीए शिक्षकों के सृजित पदों के सापेक्ष पत्र जारी कर दिया गया। यही नहीं, शिक्षा मंत्री ने इन पीटीए शिक्षकों के राजकीय मानदेय की परिधि में लाने हेतु यथाशीघ्र कार्य करने का आश्वासन दिया। इस पर प्रधानाचार्य परिषद ने शिक्षा मंत्री का धन्यवाद भी कर दिया, लेकिन आभार जताने के 12 दिन बाद भी स्थिति जस की तस है।