औद्योगिक पैकेज को लेकर विपक्ष का हंगामा, नोकझोंक
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कांग्रेस के सिर फोड़ा ठीकरा

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में शनिवार को आम बजट में चर्चा के दौरान उद्योगों को लेकर अनुदान परिव्यय पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान जहां विपक्ष ने उद्योगों की खराब हालत के लिए भाजपा की डबल इंजन की सरकार को आड़े हाथों लिया, वहीं संसदीय कार्यमंत्री ने इसका सारा ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक काजी निजामुद्दीन ने बजट में कटौती प्रस्ताव रखते हुए उत्तराखंड में उद्योगों की बदहाली पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार उद्योगों की स्थिति सुधारने और युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है। कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने राज्य में उद्योगों की स्थिति सुधारने को राज्य को औद्योगिक पैकेज दिया था, जिससे नवगठित राज्य की आर्थिक स्थिति सुधर सके। लेकिन भाजपा सरकार ने निवेशकों के नाम पर सम्मिट में करोड़ों खर्च करने के सिवा कुछ नहीं किया। इस पर वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल आक्रोशित हो गए और उन्होंने कांग्रेस पर सारा ठीकरा फोड़ दिया। अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उत्तराखंड को 10 साल के लिए दिए गए औद्योगिक पैकेज में निवेश करने पर उद्यमियों को एक्साइज ड्यूटी में शत प्रतिशत छूट के साथ पांच साल तक आयकर में छूट आदि तमाम सुविधाएं दी गईं। जिस कारण उद्योगपति करोड़ों का निवेश करने के लिए आगे आए। राज्य के अस्तित्व में आने से पहले जहां सिर्फ एक ही बड़ा उद्योग स्थापित था। वहीं इस पैकेज के बाद बड़े उद्योगों में करोड़ों का पूंजी निवेश किया गया। लेकिन बाद की यूपीए सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाया। काफी देर तक इस पर हंगामा हुआ और भाजपा विधायक विनोद चमोली और मुन्ना सिंह चौहान भी चर्चा में कूद पड़े। कहा कि राज्य गठन से पहले उत्तराखंड में कुल 14203 बड़े व छोटे उद्योग स्थापित थे। जिसमें लगभग नौ हजार करोड़ का पूंजी निवेश था। उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा देने के साथ ही अटल जी ने पर्वतीय राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया। काफी हंगामे के बाद कटौती प्रस्ताव पर मतदान हुआ और कटौती प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए अनुदान परिव्यय पास कर दिया गया। इसके अलावा पुलिस आधुनिकीकरण और परिवहन विभाग से संबंधित परिव्यय को लेकर भी काफी गर्मा-गर्मी हुई। मुन्ना सिंह चौहान और कुछ अन्य विधायकों ने पुलिस की सख्त ड्यूटी को देखते हुए कांस्टेबलों की ग्रेड पे में वृद्धि का सुझाव दिया।