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शिक्षा की बदहाली पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

-शिक्षा के एक हजार से ज्यादा मंदिरों पर पड़े ताले,कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं, आरटीई कानून का कई स्कूलों में पालन न किए जाने का भी मामला उठा

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शनिवार को प्राथमिक शिक्षा की बदहाली को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने एक हजार से ज्यादा प्राथमिक स्कूलों के बंद होने को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया। कहा कि अकेले पौड़ी जनपद में ही 315 स्कूल बंद हो चुके हैं। शिक्षा विभाग के लिए आठ हजार करोड़ रुपए के बजट के बावजूद शिक्षा व्यवस्था बदहाल है, जो चिंता का विषय है और सरकार की नाकामी की विफलता है। चर्चा के दौरान कई स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) का पालन न किए जाने का मामला भी उठाया गया।
कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन हो रहा है। पलायन का प्रमुख कारण शिक्षा की अच्छी व्यवस्था न होना है। आवारा पशुओं की समस्या से निजात, बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था हो जाए तो पलायन भी रुकेगा। कहा जाता है कि स्कूलों में बच्चे नहीं हैं, इसलिए उन्हें बंद करना पड़ रहा है। आंकड़े गवाह है कि पर्वतीय क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था सही नहीं है। कई स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, या एकल शिक्षक हैं। जब स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो बच्चे कैसे पढ़ेंगे। सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने में विफल रही है। कई स्कूलों में बिजली नहीं है। शौचालय नहीं है। आधारभूत ढांचा नहीं है। सरकार का दायित्व है कि वह स्कूलों में आधारभूत ढांचा मजबूत करे। स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करे। कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने भी स्कूलों की बदहाली को लेकर चिंता जताई। कई स्कूलों में शिक्षक और प्रधानाचार्य तक नहीं है। एक विधायक ने तो चुटकी लेते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री प्रधानाचार्य बनाने की तकनीक ईजाद करें। सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है।

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पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा शामिल करने के निर्देश
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतुभूषण खंडूरी ने सदन में शिक्षा व्यवस्था पर हुई चर्चा के दौरान नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिए। कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने प्राथमिक स्कूलों में नैतिक शिक्षा नहीं दिए जाने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पहले नैतिक शिक्षा का पाठ स्कूलों में पढ़ाया जाता था, ताकि बच्चों में संस्कार पैदा हों और चरित्र बेहतर बन सके। लेकिन अब नैतिक शिक्षा स्कूलों में नहीं दी जा रही है, जो चिंता का विषय है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतुभूषण खंडूरी ने चिंता जताते हुए शिक्षा मंत्री को निर्देश दिए कि यदि नैतिक शिक्षा का पाठ स्कूलों में नहीं पढ़ाया जा रहा है, तो इसे शामिल करें, क्योंकि बच्चों को चरित्रवान बनाने के लिए नैतिक शिक्षा जरूरी है। इस सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि हमारे पूर्वज की जगह हमारी विरासत पुस्तक पाठ्यक्रम में रखी गई है। इसमें डॉ. भीमराव अम्बेडकर समेत विभिन्न हस्तियों की जीवनी को शामिल किया गया है।

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