हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नियमित नहीं हुए संविदा कर्मी
ऊर्जा के तीनों निगमों के संविदा कर्मियों ने दी 6 नवंबर से आंदोलन की चेतावनी

शब्द क्रांति लाइव ब्यूरो। देहरादून: ऊर्जा के तीनों निगमों में कार्याेजित संविदा कार्मिकों के नियमितिकरण, समान वेतन, परिवर्तनीय महंगाई भत्ता सहित विभिन्न ज्वलंत मांगों के निराकरण के लिए शीघ्रताशीघ्र आदेश निर्गत करने की मांग की है।
वर्तमान में ऊर्जा के तीनों निगम तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों की भारी कमी से जूझ रहा है, जिसकी कमी को पूरा करने के लिए निगमों में सैंकड़ों कार्मिक उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि. (उपनल) के माध्यम से संविदा पर कार्याेजित किये गये हैं जिनके द्वारा विगत लगभग 15 वर्षों से सेवाएं प्रदान दे रहे हैं। यहां बता दें कि ऊर्जा के तीनों निगमों में कार्यरत संविदा कार्मिकों के नियमितिकरण व समान वेतन के सम्बन्ध में औद्योगिक न्यायाधिकरण, हल्द्वानी एवं उच्च न्यायालय, नैनीताल पूर्व में ही आदेश पारित कर चुका है परन्तु निगम प्रबन्धनों द्वारा उक्त आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की बजाय वकीलों की लम्बी फौज पर सरकारी खजाने को लुटाया जा रहा है। उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन (इंटक) के प्रदेश महामंत्री विनोद कवि ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग न मानी गई तो 6 नवंबर से आंदोलन को बाध्य होंगे।
यह हैं मांग
1. ऊर्जा के तीनों निगमों में कार्यरत संविदा कार्मिकों को मा0 औद्योगिक न्यायाधिकरण, हल्द्वानी अथवा मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल के निर्णयानुसार नियमित किया जाए।
अथवा
विनियमितिकरण नियमावली-2011, विनियमितिकरण नियमावली-2013, विनियमितिकरण नियमावली-2016 के तहत नियमित किया जाए।
अथवा
तेलंगाना/छत्तीसगढ़,/हिमांचल/उडीसा की भांति विनियमितिकरण नियमावली बनाते हुए नियमितिकरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
2. नियमितिकरण की कार्यवाही पूर्ण होने तक समान कार्य के लिए समान वेतन मंहगाई भत्ते सहित दिया जाए।
3. संविदा कार्मिकों को वर्ष में दो बार बी0डी0ए0 दिये जाने हेतु उत्तराखण्ड शासन द्वारा जारी शासनादेश संख्या 821/प्(2) 2023-05-30/2011, दिनांक 11/07/2023 को तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए।
4. मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा याचिका संख्या 3283/2017 के सम्बन्ध में दिनांक 03.01.2018 को पारित स्थगन आदेश के बाद भी मा0 न्यायालय की अवमानना करते हुए यूजेविएन लि0 एवं पिटकुल में कार्यालय सहायक तृतीय के पदों हेतु जारी भर्ती विज्ञापन को तत्काल निरस्त किया जाए।
5. आवश्यक सेवाओं को देखते हुए संविदा कार्मिकों को वार्षिक वेतन बढ़ोत्तरी का लाभ दिया जाए अथवा प्रतिवर्ष कम से कम 20 प्रतिशत वेतन बढ़ोत्तरी की जाए।
6. बिजली घर, बिजली लाईनें, मीटर रीडिंग, कैश कलैक्शन, मैन्टेनैंस, परियोजनाओं की साफ सफाई ईत्यादि जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को बगैर किसी वित्तीय लाभ हानि का आंकलन किये बगैर ठेके पर दिये जाने की प्रथा पर अंकुश लगाया जाए तथा उक्त सभी कार्यों की किसी स्वतंत्र एजेन्सी से जांच कराई जाए तथा खण्डवार स्पेशल ऑडिट कराया जाए।
7. विगत कुछ वर्षों से मानव शक्ति उपलब्ध कराने के नाम पर हो रही लूट को रोका जाए तथा खण्डों में मानवशक्ति के नाम पर लुटाये जा रहे सरकारी खजाने की जांए एवं स्पेशल ऑडिट कराया जाए।
8. तीनों निगमों में कार्याेजित संविदा कार्मिकों को कम से कम 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाए।
9. विद्युत दूर्घटना अथवा सामान्य मृत्यू होने पर कम से कम रू0 20 लाख का मुआवजा तथा मृतक आश्रित को उसकी योग्यतानुसार संविदा पर नियुक्ति प्रदान की जाए।
10. चंूकि ऊर्जा के तीनों निगम आवश्यक श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले निगम हैं तथा यंहा पर कार्यरत संविदा कार्मिकों की कार्यप्रकृति अन्य विभागों में कार्यरत संविदा कार्मिकों से भिन्न एवं जोखिम भरी है अतः उत्तराखण्ड शासनादेश में ऊर्जा निगमों में कार्यरत संविदा कार्मिकों की श्रेणी को अलग से वर्गीकृत करते हुए वेतन व शर्तें अलग से निर्धारित करने हेतु अनुरोध किया जाए।
11. आबादी से दूर बने बिजली घरों में सुरक्षा की दृष्टि से एक सुरक्षा गार्ड की तैनाती की जाए तथा प्रत्येक बिजली घर में 4-4 एस0एस0ओ0 (टी0जी0-द्वितीय विद्युत) की तैनाती की जाए।
12. उपनल के माध्यम से कार्याेजित संविदा कार्मिकों के शेष उपार्जित अवकाश को या तो अगले वर्ष में समायोजित किया जाये अथवा अवकाश नकदीकरण सुविधा प्रदान की जाए।
13. विभागीय कार्य से आवागमन करने वाले संविदा कार्मिकों को शासनादेशानुसार अनुमन्य नियमित कार्मिकों की भांति यात्रा भत्ता प्रदान किया जाए।