परिसंपत्तियां निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में गरजे बिजली कर्मी
-उत्तराखंड विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने डाकपत्थर मुख्यालय पर किया प्रदर्शन, आंदोलन की बनाई रणनीति, सभा में छिबरो, खोदरी पावर हाउस, लखवाड़ व्यासी परियोजना तथा सभी कार्यालय कार्मिकों ने लिया हिस्सा

देहरादून: यमुना परियोजना की विभिन्न परिसंपत्तियों को निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी एवं कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं पर ठोस कदम नहीं उठाने से नाराज कर्मचारियों ने आंदोलन का फैसला किया है। उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा यमुना वैली प्रथम के तत्वावधान में गुरुवार को डाकपत्थर मुख्यालय पर आयोजित सभा में आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की गई। सभा की अध्यक्षता यमुना घाटी के संयोजक गोपाल बिहारी तथा संचालन संजय राणा ने किया। सभा में छिबरो, खोदरी पावर हाउस, लखवाड़ व्यासी परियोजना तथा सभी कार्यालय कार्मिकों ने हिस्सा लिया।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि संगठनों को सूचना मिली है कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड तथा उत्तराखंड शासन के कुछ विभागों में परियोजना क्षेत्र की विभिन्न भूमि, जिसमें परियोजना में स्थित आवास कार्यालय वर्कशॉप, टेस्टिंग लैब नलकूप एवं राज्य विद्युत परिषद के समय से जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के साथ स्थापित किए गए विभिन्न विद्युत उपसंयंत्र, बिजली घर, मनोरंजन सदन, फील्ड हॉस्टल आदि की भूमि को अनुपयोगी बताकर किसी निजी कंपनी के हाथों में दिए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। राज्य की मूल निवासियों के साथ इस प्रकार का षड्यंत्र सफल नहीं होने दिया जाएगा। कार्मिक संगठनों का कहना है कि बिना कर्मचारी संगठनों को अवगत कराए इस प्रकार की कार्रवाई अवैध है। सभा के पश्चात सभी कार्मिक संगठनों ने डाकपत्थर मुख्यालय पर स्थित अधिशासी निदेशक जानपद के कार्यालय के बाहर नारेबाजी की तथा शीघ्र ही उनके कार्यालय का घेराव किए जाने का निर्णय लिया गया।
कर्मचारी संगठनों का कहना है अगर इस कार्रवाई को तत्काल नहीं रोका गया तो इस पूरे आंदोलन को राज्य स्तर पर सभी पावर हाउस एवं ऊर्जा विभाग के समस्त विभागों में किया जाएगा एवं अगर आवश्यकता पड़ी तो कर्मचारी कार्य बहिष्कार एवं हड़ताल भी कर सकते हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि उत्तराखंड की भू संपत्तियां जिन पर वहां के नागरिकों का पूर्ण अधिकार है अन्य निजी संस्थाओं को दिया जाना राज्य विरोधी कदम है एवं इससे क्षेत्र की डेमोग्राफी एवं पर्यावरण संबंधी विभिन्न नुकसान होंगे, जिसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा।
सभा में प्रेम प्रकाश, मनजीत सिंह तोमर, दिग्विजय सिंह रावत अभिलाष यादव भारत भूषण गैरोला, संजय सत्संगी सुभाष विवेक कुमार ,पंकज सैनी भानु प्रकाश जोशी, विनीत कुमार, संतोष मधवाल,पंकज रावत, राजेंद्र कापड़ी धीरेंद्र चंद्र पंत, राजीव कुमार, संदीप जखमोला, हिमांशु भट्ट, रितु पुलकित, रिंकी तोमर रेनू तोमर, रुखसार, मनीष शर्मा,धाम सिंह नेगी, अमित रंजन, विक्रम पवार जितेंद्र कश्यप आदि ने विचार व्यक्त किए।
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यह हैं मांग
-उच्च स्तर पर विभिन्न अधिकारियों को सेवानिवृत्ति पर दो वर्ष का सेवा विस्तार दिया जा रहा है। इस विषय में संगठनों की मांग है कि सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की जाए।
-इसके अतिरिक्त सभा में वाक्य के द्वारा पूर्ववर्ती राज्य विद्युत परिषद से विघटन के समय हुए समझौते के अनुरूप सेवा शर्तों से कमतर किसी भी प्रकार की सेवा शर्तें तय किए जाने पर विशाल आंदोलन की बात कही गई।
– निगम में कई वर्षों से सेवा दे रहे उपनल के माध्यम से तैनात एवं अन्य संविदा एवं आउटसोर्स एजेंसी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रिक्त नियमित पदों पर नियुक्ति दी जाए।
-शिविरों जैसे महत्वपूर्ण पावर हाउस में एक शिफ्ट को दो दिन तक ड्यूटी करनी पड़ रही है, क्योंकि पावर हाउस को जाने वाली सड़क पर यातायात निरंतर बाधित हो रहा है जिसको खोलने में काफी लापरवाही की जा रही है। इसका भी विरोध किया गया क्योंकि कर्मचारियों की भारी कमी है |