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उत्तराखंड
नाज़ उसके रहे उठाने में
ग़ज़ल नाज़ उसके रहे उठाने में।। उम्र गुज़री उसे मनाने में।। चांद चहरे ख़ुदा बनाता है। ये नहीं ढ़लते कारखाने…
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ग़ज़ल नाज़ उसके रहे उठाने में।। उम्र गुज़री उसे मनाने में।। चांद चहरे ख़ुदा बनाता है। ये नहीं ढ़लते कारखाने…
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