
ग़ज़ल
मैं क़तरा हूं ऐसा क़तरा सागर पानी मांगे है।
मेरे जैसी ही मुझसे वो एक कहानी मांगे है।।
एक ग़ज़ल ऐसी हो जिसमें बातें तेरी-मेरी हों।
मेरे दिल का शायर मुझसे मिसरा सानी मांगे है।।
जिससे दरिया पार उतारा अपने यारों को हमने।
तूफानों से लड़ने को फिर नाव पुरानी मांगे है।।
मेरे बच्चे क्या जाने लेकिन मेरा दिल तो अब भी।
दादा-दादी नाना-नानी राजा-रानी मांगे है।।
तुम क्या समझो तुम क्या जानो मेरे दिल की बातों को।
मेरा दिल तो दुनिया को भोर सुहानी मांगे है।।
बातें सुनते-सुनते तेरी हम भी शायर हो बैठे।
अब ये गीत ग़ज़ल मेरे भरपूर रवानी मांगे है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094