‘खाली जेब भी कितनी भारी होती है’
-हिंदी-उर्दू शायरी मंच समिति की ओर से लक्खी बाग स्थित मुस्लिम कालोनी में हुआ अखिल भारतीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने की कार्यक्रम का शुभारंभ, मुख्य अतिथि रहे आजाद अली

देहरादून: ‘वतन की अपने आलम में अलग पहचान हो जाए, हमारा मुल्क दुनिया का वही सुल्तान हो जाए।जहां रहमान को हो दर्द आंसू राम के निकले, ख़ुदा पहले के जैसा ही ये हिंदुस्तान हो जाए। ‘मध्य प्रदेश के देवास से आए इस्माईल नज़र ने जब यह शेर पढ़ा तो पूरा पांडाल तालियों से गूंज उठा। मौका था हिंदी-उर्दू शायरी मंच समिति की ओर से बुधवार को लक्खी बाग स्थित प्राइमरी स्कूल मुस्लिम कालोनी में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का। कार्यक्रम की अध्यक्षता माहिर स्योहारवी ने की, जबकि संचालन इस्माइल रजा ने किया।
‘एक शाम शाखा दूनवी के नाम से आयोजित इस मुशायरे में ‘ डॉक्टर साबिर बेहटवी ने ‘भले ज़रा सा हो लेकिन ज़रूर होता है, बुलंदियों पे पहुंच कर गुरूर होता है।’ शेर सुनाकर तालियां बटोरी। हल्द्वानी से आए शायर मोहन मुंतजिर के शेर ‘आंखों आंखों में ही दीदार की तह तक जाना, इतना आसान नहीं प्यार की तह तक जाना।’ को खूब पसंद किया गया। सुल्तान जहां पूरनपुरी के मतले’ मेरे मुंसिफ मेरे रहबर तू अबतो फैसला कर दे, ख़िताबे बावफ़ा दे दे या साबित बेवफ़ा करदे’। को भी श्रोताओं ने खूब दाद से नवाजा। उस्ताद शायर शम्स देवबंदी ‘वो सोचता था मुझे फूंक से बुझा देगा, उसे ख़बर ही नहीं है के आफ़ताब हूँ मैं।’ शेर सुनाकर महफ़िल लूट ली।
मुशायरा के कन्वीनर अमजद खान अमजद के शेर ‘चलना मुश्किल कर देती है मुफ्लिस का, खाली जेब भी कितनी भारी होती है।’ ने तो कार्यक्रम को बुलंदी पर पहुंचा दिया। सुहैल आतिर ने भी अपने शेर ‘अपनी तबाहियों का मैं किससे गिला करूं
मैं ख़ुद ही पल रहा था मेरी आस्तीन में’ सुनाकर वाहवाही लूटी। अंसार सिद्दिकी कैरानवी ने भी ‘मुश्किल नहीं है टूटे हुए दिल का जोड़ना, समझो तो पहले कौन सा टुकड़ा कहां का है।’ शेर सुनाकर तालियां बटोरी। दर्द गढ़वाली के चार मिसरों ‘शेर कहने की जसारत कर रहा हूं, शायरी की मैं तिलावत कर रहा हूं। है विरासत में मिली मुझको मुहब्बत, सो मुहब्बत ही मुहब्बत कर रहा हूं। को भी खूब दाद मिली। अली अकबर के शेर ‘घर में जब जब निवाले नहीं देखता, बाप हाथों के छाले नहीं देखता’ को खूब दाद मिली।
इसके अलावा शादाब मशहदी, सुनील साहिल, अंबिका सिंह रूही, सरोवर अली, परमवीर कौशिक, राजकुमार राज, राही नहटौरी, रईस फिगार, शौहर जलालाबादी आदि ने भी अपना कलाम पढ़ा, जिसे खूब पसंद किया गया।
इससे पहले प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि जनाधिकार मोर्चा के अध्यक्ष आजाद अली रहे, जबकि शम्आ रोशन समाजसेवी याकूब सिद्दीकी ने की। देर रात तक श्रोता शायरी का आनंद उठाते रहे।(फोटो साहित्य प्रेमी प्रोफेसर डॉ. दयानंद अरोड़ा के सौजन्य से)