हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए बंद
- इस साल पौने 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में मत्था टेक कर लिया आशीर्वाद

देहरादून/चमोली: हिमालय की गोद में बसे सिखों के पवित्र गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट आज दोपहर 1:30 बजे शीतकाल के लिए विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद हो गए हैं। वहीं, इस बार पौने 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में मत्था टेक कर आशीर्वाद लिया।
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह की पवित्र तपोस्थली हेमकुंड साहिब के कपाट शुक्रवार को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर विधि विधान और पंच प्यारों की अगुवाई में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने की प्रक्रिया धार्मिक विधि विधान और श्रद्धा भाव के साथ पूरी हुई। इसके साथ ही गुरुद्वारे के पास स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए गए हैं। आज गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के मौके पर करीब 4 हजार श्रद्धालु साक्षी बने। इस दौरान गुरु का धाम ‘जो बोले सो निहालसत श्री अकाल…’ से गूंज उठा। हेमकुंड साहिब की यात्रा काफी मुश्किल भरा है। श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्तों को भी पार करना होता है, हालांकि, जुलाई-अगस्त-सितंबर महीने में हेमकुंड में बर्फ पिघल जाती है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह धार्मिक स्थल केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि हिंदू-सिख आस्था के अटूट संगम का प्रतीक है, क्योंकि, यहां पर गुरुद्वारा के साथ मंदिर पर है। इस बार बीती 25 मई को गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी, जिसका नतीजा ये हुए कि सभी पुराने रिकॉर्ड टूट गए।इस यात्रा सीजन में 2 लाख 75 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के दर्शन किए। यह संख्या गुरु गोविंद सिंह की तपोस्थली के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और विश्वास को दर्शाती है। वहीं, कपाट बंद होने के अवसर पर घांघरिया (गोविंद धाम) से करीब 4 हजार श्रद्धालु पवित्र हेमकुंड साहिब पहुंचे।
इस दौरान अमृतसरी रागी जत्थे की ओर से शबद कीर्तन और सुखमणि साहिब पाठ का किया गया. अंतिम अरदास के बाद हेमकुंड साहिब के कपाट बंद कर दिए गए। वहीं, आसमान में बादलों के बीच झांकती धूप और बर्फ से ढकी सप्तश्रृंग घाटी का नजारे ने कपाट बंद करने के पल को और भी खास बना दिया। इस मौके पर सेना के बैंड की मधुर धुन ने पूरे इलाके को शौर्य और भक्ति से सराबोर कर दिया।
गौरतलब है कि हिमालय की गोद, बर्फीली वादियों और झील के तट पर गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब है। जो समुद्र तल से करीब 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हेमकुंड साहिब में साल के 7 से 8 महीने बर्फ जमी रहती है। बीते दिनों भी हेमकुंड साहिब में बर्फबारी हुई थी, लेकिन आज बादल और सूरज की आंख मिचौली देखने को मिली।