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भारत की सबसे बेहतरीन रम बेचने वाला पीता था चाय

देहरादून: रम लवर्स की दुनियाभर में कमी नहीं है। एक ऐसा पॉपुलर रम जिसने लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाई। ओल्ड मॉन्क। ओल्ड मॉन्क का हिंदी में अनुवाद करें तो इसका अर्थ बूढ़ा साधु होगा। इस रम ने न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में अपनी खास जगह बनाई लेकिन इसे बनाने वाले शख्स को शराब से कोई लगाव नहीं था, बल्कि वो चाय का शौकीन था।
भारत में अगर कोई रम का नाम ले तो बससे पहले ओल्ड मॉन्क कहा जाता है। 1954 में लॉन्च हुई यह रम अपने अनोखे स्वाद के लिए लोगों की पसंदीदा है। मोहन मीकिन लिमिटेड ओल्ड मॉन्क की निर्माता कंपनी है और इस रम के निर्माता का नाम कर्नल वेद रतन मोहन है। रम भले हीी वेद रतन मोहन ने बनाया लेकिन इसे ब्रांड की शक्ल कपिल मोहन ने दी। कपिल मोहन के पिता नरेंद्र नाथ मोहन भी शराब कारोबारी थे। अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर के पिता ने 1885 में हिमाचल के चमौली में शराब कंपनी खोली थी। आजादी के बादकपिल मोहन के पिता नरेंद्र नाथ मोहन ने इसका अधिग्रहण कर लिया।
कहा जाता है कि वेद रतन मोहन यूरोप के बेनेडिक्टिन संतों की जीवनशैली और उनकी शराब बनाने की कला से बेहद प्रभावित थे। इन संतों के सम्मान में ही उन्होंने इस रम का नाम ओल्ड मॉन्क रखा लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस रम को मशहूर करने वाले मोहन मीकिन के चेयरमैन कपिल मोहन जो वेद रतन के भाई थे। जो खुद शराब को हाथ नहीं लगाते थे, वे एक चाय प्रेमी थे।
आज ओल्ड मॉन्क 50 देशों में बिकती है, जिसमें रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और यूएई जैसे देश शामिल हैं। लोग इसे इसके बेजोड़ स्वाद और कम हैंगओवर के लिए पसंद करते हैं। एक दौर में ओल्ड मॉन्क की हर साल करीब 80 लाख बोतलें बिकती थीं, लेकिन आज इसकी संख्या में गिरावट आई है।
ओल्ड मॉन्क की बोतल भी अपने आप में खास है। लोग इसकी बॉटल को भी संभाल कर रखते हैं और डेकोरेशन में इस्तेमाल करते हैं इसकी गोल-मटोल डिज़ाइन और उस पर बनी एक खुशमिजाज शख्सियत का चेहरा कंपनी के सह-संस्थापक एचजी मीकिन का है जो इसे और भी अनोखा बनाती है। (साभार पर्वतीय निशांत)

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