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बच्चों को बदल कर ही बदलेगी आने वाली दुनिया : लोकेश नवानी

-चैती गायन चित्रकला और लेखन प्रदर्शनी के साथ उत्तराखंड के दस हजार बच्चों के लिए आयोजित फूलदेई का समापन, उत्तरकाशी से कणिका,मानवी, पौड़ी से अर्नव, कृति देहरादून से तानिया, दिव्याशु ,रुद्रप्रयाग से सुहानी,अम्बिका, पिथौरागढ़ से साक्षी, अल्मोड़ा से भाविका,चम्पा, चमोली से हिमानी, भूमिका,टिहरी से अभिजीत, प्रिया के साथ प्रदेश के 100 बच्चों को मिला फूलदेई रचनात्मक पुरस्कार

देहरादून: चैती के गीतों और बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ उत्तराखंड के दस हजार बच्चों के लिए आयोजित फूलदेई का समापन मांगल डॉट कॉम के सहयोग से संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में आयोजित हुआ। धाद संस्था द्वारा उत्तराखण्ड के विभिन्न स्कूलों में एक महीने से चलाए जा रहे कार्यक्रम 15 मार्च से शुरू हुए। फूलदेई आयोजन में प्रदेश के सैकड़ों स्कूल और हजारों छात्रों ने हिस्सेदारी की। आयोजन स्थल में बच्चों द्वारा बनाई गई चित्रकला की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ लाल तप्पड़ के बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना और शांति बिंजोला एवं उनके साथियों द्वारा मांगल के साथ किया गया। फूलदेई रचनात्मक प्रतिभाग के बाबत बताते हुए कोना कक्षा का के मुख्य संयोजक गणेश चंद्र उनियाल ने बताया कि हमारा प्रयास रहा है कि हम फूलदेई के साथ हर बच्चे हर स्कूल तक पहुँचे और उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति को अवसर दें। और उसके लिए स्कूलों तक फूलदेई शीट भेजने और फिर उनके मुल्यांकान का सघन कार्य किया गया। कार्यक्रम की संयोजक आशा डोभाल ने बताया कि हमारा कोना कक्षा का कार्यक्रम में आज प्रदेश के 900 से अधिक किताबों के कोने हो चुके हैं जिसमें हमने आम समाज को सार्वजानिक शिक्षा से जुड़े स्कूलों के पक्ष में जोड़ने का काम किया है। उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से अपील की कि इस कार्य में सहयोग के लिए आगे आयें और उत्तराखण्ड के नौनिहालों को अच्छा साहित्य उपलब्ध करायें। सह संयोजक राजीव पांथरी ने बताया कि इस बार हमने हजारों बच्चों के इस कार्यक्रम का रचनात्मक प्रतिभाग परिणाम शिक्षकों के अथक प्रयासों के चलते घोषित कर दिया है। अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए लोकेश नवानी ने कहा कि किसी समाज में यदि कोई बुनियादी परिवर्तन लाना हो तो बच्चों पर काम करना होगा। क्योंकि हर बच्चे में दुनिया की सबसे निर्मल, निश्छल और पवित्र ऊर्जा का भंडार होता है जिसे सही दिशा देने से दुनिया बदल सकती है।
कोना सहयोगी मांगल डॉट कॉम के संस्थापक और फूलदेई के सहयोगी विजय भट्ट ने फूलदेई को बच्चों के बीच में नए तरीके से ले जाने के प्रयास को सराहा उनके साथ कोना सहयोगियों ने भी अपनी बात रखी।
साहित्य एकांश से संयोजक डॉ. विद्या सिंह और सह संयोजक कल्पना बहुगुणा ने बाल साहित्य पर, लोक भाषा से शांति बिंजोला ने मातृभाषा के साथ बच्चों को जोड़ने की बात कही, वहीं बाल वन के संयोजक महावीर सिंह रावत ने बच्चों को प्रकृति के सहचर्य पर पक्ष रखा। आयोजन में रचनात्मक प्रतिभाग के परिणाम की घोषणा की गई एवं देहरादून जिले के कुछ बच्चों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में सहयोग करने वाले सभी साथियों को सम्मानित भी किया गया। लोकभाषा एकांश कोटद्वार की टीम ने चैती गायन एवं जूनियर हाईस्कूल लाल तप्पड़ के बच्चों व मस्तीज्यादे फाउंडेशन के बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं गई। कार्यक्रम में जेके सिंह, पुष्पा खंडूरी, अवधेश शर्मा, डॉ. आशा लता, एपी अमोली, सतीश शाह, महेन्द्र ध्यानी, डॉ जयंत नवानी, शर्मिला उनियाल, अम्बर खरबन्दा, सुनील भट्ट आदि उपस्थित थे।

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