महर्षि श्रीअरविन्द के जीवन सूत्र को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत
- धर्मनगरी ज्योतिर्मठ में महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी व आध्यात्मिक गुरु महर्षि श्रीअरविन्द का 153वां जन्म मनाया, भारत और उसकी ज्ञान परंपरा को जानने का स्वर्णिम द्वार हैं महर्षि श्रीअरविन्द: ऋषि प्रसाद सती

ज्योतिर्मठ : धर्मनगरी ज्योतिर्मठ में महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी, महायोगी, कवि ,आधुनिक ऋषि और ‘सारा जीवन ही योग है’ का उदघोष करने वाले आध्यात्मिक गुरु महर्षि श्रीअरविन्द का 153वां जन्म जयंती पर्व धूमधाम से मनाया गया। ज्योतिर्मठ में महर्षि के ज्ञान और ध्यान का दीपक जलाने वाली संस्था श्रीअरविन्द अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के सभागार में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और वर्तमान में श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने कहा कि श्रीअरविन्द भारत बोध के नायक हैं और भारत संस्कृति, समाज, विचार परंपरा और ऋषि परंपरा को आत्मसात करने का स्वर्णिम सोपान हैं।
महर्षि और श्रीमाँ के चित्र पर दीप प्रज्वलित और श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपरांत उन्होंने कहा कि हिमालय में महर्षि का संदेश युवा पीढ़ी तक जाना चाहिए ताकि वह आधुनिकता की आंधी में अपनी जड़ों से संपर्क न खो बैठे।
विशिष्ट अतिथि राजकीय महाविद्यालय जोशीमठ की प्राचार्य प्रो. प्रीति कुमारी ने कहा कि सन 1892 में आई. सी. एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करके भी श्रीअरविन्द ने औपनिवेशिक भारत में कलेक्टर की नौकरी करने के बजाय देशभक्ति और राष्ट्रवाद का कंटकाकीर्ण मार्ग चुना, जो बहुत बड़ी प्रेरणा है। विशिष्ट अतिथि स्वामी समृद्ध पुरी जी महाराज ने बताया कि श्रीअरविन्द के नाम के आगे जुड़ा ‘महर्षि’ विशेषण ही उनके बारे में बहुत कुछ कह देता है। विशिष्ट अतिथि और प्रधानाचार्य शंभू प्रसाद चमोला ने कहा कि अपने चिंतन और लेखन से श्रीअरविन्द ने इसे समय में देशभक्ति का ज्वर उत्पन्न किया जब भारत में स्वाधीनता की मशाल मंद पड़ गई थी। विशिष्ट अतिथि और ज्योतिर्मठ के गणमान्य नागरिक भगवती प्रसाद कपरुवाण ने कहा कि श्रीअरविन्द के जीवन सूत्र राजनीति, समाज, प्रशासन, शिक्षा जगत और विशेष रूप से युवा पीढ़ी का बेहतरीन मार्गदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते भारत में लोग उनका अध्ययन करें।
अतिथियों का स्वागत करते हुए श्रीअरविन्द अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष और कवि अरविंद पंत ने कहा कि धीरे धीरे ही सही, वसंत की तरह ज्योतिर्मठ में श्रीअरविन्द के विचार दर्शन की सुवास जनमानस तक पहुँच रही है। ‘भारतीय ज्ञान परंपरा में महर्षि श्रीअरविन्द का योगदान’ विषय पर बीज व्याख्यान देते हुए केंद्र के संस्थापक सदस्य डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने कहा कि भारतीय संस्कृति, योग, अध्यात्म, राष्ट्र बोध, मानव एकता के साथ साथ शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में श्रीअरविन्द को पढ़ना नए भारत के सृजन में मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है। डॉ. केदारखंडी ने श्रीअरविन्द की पुस्तकों यथा ‘वेद रहस्य’ ,’गीता प्रबंध’, ‘ईश उपनिषद’, ‘सावित्री’, ‘बंदे मातरम’ और ‘योग के पत्र’ आदि से प्रेरक उद्धरण के द्वारा समझाया कि श्रीअरविन्द को पढ़कर न केवल ‘भारत क्या है’ का बोध होता है बल्कि इस सत्य का भी दिशाबोध होता है कि ‘भारत क्या हो सकता है’ !
केंद्र के कोषाध्यक्ष और अँग्रेजी विषय के प्रवक्ता प्रकाश चंद पँवार और केंद्र के युवा समन्वयक और रसायन विज्ञान के प्रवक्ता कैलाश भट्ट के संयुक्त मंच संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीअरविन्द जन्मोत्सव 2025 के भाषण, निबंध और चित्रकला प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों सहित सभी दूसरे प्रतिभागियों को भी मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। केंद्र के उपाध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता महावीर सिंह फर्स्वाण ‘श्रद्धालु’ ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। ज्योतिर्मठ के चर्चित साहित्यकार डॉ. भगत सिंह राणा ‘हिमाद’ ने श्रीअरविन्द पर आधारित अपनी कविता का सस्वर पाठ करके मंत्र मुग्ध कर दिया। इस अवसर पर श्री बद्रीनाथ वेद वेदाङ्ग संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य द्रवेश्वर प्रसाद थपलियाल, डॉ. राजेन्द्र सिंह, समाजसेवी शिक्षिका कमला भट्ट, अनीता सती, विजया ध्यानी, ममता भट्ट, शिवांगी ध्यानी, सुलेखा चौहान, बी. के. टी. सी. कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बिजेंद्र बिष्ट , गोपी चंद्र उनियाल सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक और समाजसेवी उपस्थित रहे।
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इन्हें किया गया सम्मानित
भाषण प्रतियोगिता में जे. पी. विद्या मंदिर विष्णुपुरम की छात्रा अंशिका रौतेला ने प्रथम स्थान, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज ज्योतिर्मठ के ऋषभ राणा ने द्वितीय स्थान , केंद्रीय विद्यालय सुनील की छात्रा सिद्धिका और जे. पी. विद्या मंदिर विष्णुपुरम की छात्रा प्रतिष्ठा चौहान ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान और ज्योति विद्यालय की छात्रा कविता पंखोली ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।
इसी तरह श्रीअरविन्द के भारत बोध पर आधारित निबंध प्रतियोगिता में जे. पी. विद्या मंदिर विष्णुपुरम के मानस सती ने प्रथान स्थान , ज्योति विद्यालय के मयंक कुँवर ने द्वितीय स्थान और ज्योति विद्यालय की आयुषी पांडे ने तृतीय स्थान प्राप्त किया जबकि जे. पी. विद्या मंदिर की छात्रा अंशिका को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रीअरविन्द केंद्र द्वारा जूनियर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए ‘माता भूमि पुत्रोहम पृथिव्या:’ विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की छात्रा भूमिका ने 38 प्रतिभागियों में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जे. पी. विद्या मंदिर के छात्र सार्थक नेगी ने द्वितीय स्थान, ज्योति विद्यालय की छात्रा आयुषी नौटियाल ने तृतीय स्थान और जे. पी. विद्या मंदिर की छात्रा आराध्या को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।