उत्तराखंडसंस्मरण

भारत-पाक के आम नागरिकों में नहीं है कटुता: अय्यर

दून लाइब्रेरी में मणिशंकर अय्यर की पुस्तक मैमोयर्स आफ ए मेवरिक'पर चर्चा

शब्द क्रांति लाइव ब्यूरो, देहरादून: पूर्व केंद्रीय मंत्री और बुद्धिजीवी मणिशंकर अय्यर ने कहा कि सरकारों को छोड़ दें तो भारत और पाकिस्तान के आम नागरिकों में एक-दूसरे के प्रति किसी तरह की कटुता नहीं है। अय्यर ने शुक्रवार को दून लाइब्रेरी में अपनी पुस्तक मैमोयर्स आफ ए मेवरिक’पर चर्चा करते हुए यह बात कही। उन्होंने विदेश सेवा, पंचायती राज और दून स्कूल में अपनी पढ़ाई के दिनों पर भी चर्चा की।

अय्यर ने पाकिस्तान में तैनाती के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके तीन साल के कार्यकाल के दौरान ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई, जिससे वह पाकिस्तान के बारे में गलत राय बनाएं। उन्होंने अपने पाकिस्तानी ड्राइवर को लेकर चर्चा करते हुए बताया कि एक बार उसके (ड्राइवर) भाई को कराची में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह एक मोहल्ले में अपने प्रोजेक्टर से हिंदी फिल्म दिखा रहा था। कहा कि मेरा ड्राईवर थाने पहुंचा और पुलिस कर्मी से कहा कि उसके भाई को छोड़ दो। इस पर पुलिस कर्मी ने कहा कि ऐसे कैसे छोड़ दें, लेकिन जब उसने बताया कि वह भारत के काउंसलर जनरल का ड्राइवर है, इस पर पुलिस ने बिना तकरार किए उसे छोड़ दिया।


पंचायती राज को लेकर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तारीफ की। उन्होंने मिजोरम के एक गांव के राजीव गांधी के दौरे की चर्चा करते हुए कहा कि एक ग्रामीण ने राजीव गांधी की तरफ इशारा करते हुए उनसे पूछा कि ये कौन हैं, तो मैंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री हैं। इस पर ग्रामीण ने कहा कि लेकिन इनकी तो मूंछें नहीं है। इसी तरह के कई और अनुभव अय्यर ने साझा किए। वरिष्ठ पत्रकार रंजना बनर्जी ने अय्यर से संवाद किया।


इस मौके पर नयन तारा सहगल ने कहा कि मणिशंकर अय्यर का लेखन स्पष्टवादी और खुले विचारों वाला है। पाठक के पास उनके बचपन और कॉलेज के दिन, उनकी निजी पारिवारिक परिस्थितियां, कॉलेज विदेश सेवा अनुभव के कई अंतर्दृष्टिपूर्ण स्नैप शॉट है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ उनके वर्षों के काम के रेखाचित्र आंखें खोलने वाले और प्रभावित करने वाले हैं। आने वाले वर्षों का लेखा-जोखा उनकी अगली दो आत्मकथात्मक पुस्तकों का विषय रहेगा।

मणिशंकर अय्यर की शिक्षा दून स्कूल, सेंट स्टीफंस कॉलेज और कैम्ब्रिज, यूके में हुई। 2010 में कैम्ब्रिज कॉलेज ने उन्हें मानद फेलो के रूप में चुना। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में 26 वर्षों तक सेवा की, जिसमें प्रधान मंत्री राजीव गांधी के कार्यालय में प्रतिनियुक्ति भी शामिल थी। वह तमिलनाडु से संसद के निचले सदन के लिए तीन बार चुने गए और उच्च सदन में छह साल का कार्यकाल भी पूरा किया। 2006 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने 2004 से 2009 तक कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया और कई अलग-अलग विभाग संभाले। इससे पहले दून लाइब्रेरी के निदेशक बीके जोशी ने अय्यर का स्वागत किया।

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