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बार को लेकर दो अधिकारियों में फिर हो सकता है घमासान 

हयात रीजेंसी को डीएम ने दे डाली 24 घंटे बार खोलने की अनुमति, सीएम धामी ने लगवाई रोक ओएनजीसी हादसे के बाद शहरभर के बारों को समय का पाठ पढ़ाने वाले प्रशासन ने हयात होटल को दे दी थी करीब 24 घंटे बार खोलने की अनुमति

देहरादून: बार को लेकर राजधानी में दो आईएएस अधिकारियों में एक बार फिर तनातनी के आसार लग रहे हैं। इस बार पलड़ा आबकारी आयुक्त हरि चंद्र सेमवाल का भारी लग रहा है। सेमवाल ने सीएम के आदेश का हवाला देते हुए हयात होटल को 24 घंटे बार खोलने की डीएम की अनुमति को निरस्त कर दिया है। हालांकि इसका कारण ओएनजीसी चौक के पास हुआ हादसा बताया जा रहा है। लेकिन इसके कुछ और मतलब निकाले जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले डीएम सविन बंसल ने कुछ समय पहले राजपुर रोड के एक बार को 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया था, जिस पर आबकारी आयुक्त ने स्टे दे दिया था। इस पर दोनों अधिकारियों में तनातनी हो गई थी, जिसके बाद डीएम ने बार को पूरी तरह बंद करा दिया था। माना जा रहा है कि इस बार आबकारी आयुक्त ने यह खेल खेला है।
हालांकि जिलाधिकारी सविन बंसल शराब की दुकानों में ओवर रेटिंग को लेकर निरंतर सख्ती दिखाते रहे हैं। दूसरी तरफ ओएनजीसी चौक पर 11 नवंबर की रात को इनोवा कार और कंटेनर की टक्कर में 06 युवक-युवतियों की मौत को भी उन्होंने गंभीरता से लिया। उनके नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने शहरभर के बारों पर छापेमारी कर रात 11 बजे के बाद खुले बारों का लाइसेंस 15 दिन के लिए निलंबित करवा दिया। दूसरी तरफ इस घटना के कुछ ही दिन पहले जिलाधिकारी ने ही 28 अक्टूबर को हयात रीजेंसी के बार को करीब 24 घंटे खुलने की अनुमति प्रदान कर दी।
यह अनुमति उन्होंने पूर्व आबकारी आयुक्त के 27 अगस्त के एक आदेश के क्रम में जारी की। हयात के मामले में महज 12 लाख रुपये के अतिरिक्त राजस्व के लिए उन्होंने आयुक्त के आदेश पर अमल किया। दूसरी तरफ जब राजपुर रोड पर शराब ठेके को 15 दिन के लिए बंद करने के आदेश पर वर्तमान आबकारी आयुक्त एचसी सेमवाल ने रोक लगाई तो जिलाधिकारी ने इसका पालन नहीं किया।
यह स्थिति कहीं न कहीं राजधानी में दोहरी व्यवस्था की तरफ भी इशारे करती है। यदि सवाल राजस्व का ही था तो एक शराब ठेका तो सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्रदान करता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि शहर के बाकी बारों पर अंकुश लगाकर एक ऊंचे घराने की दूकान चमकाई जा रही है। क्योंकि, जब रात के बेकाबू जश्न पर अंकुश का ही प्रश्न है तो हयात इस मामले में अपवाद क्यों होना चाहिए।
बहरहाल, सीएम धामी के रुख के बाद हयात को 12 घंटे की अतिरिक्त अनुमति के आदेश को आयुक्त सेमवाल ने निरस्त कर दिया है। मगर, यदि सीएम सख्त रुख नहीं दिखाते तो क्या जिलाधिकारी की ओर से हयात को दी गई अंतिम अनुमति को निरस्त किया जाता ? यह सवाल उस पुलिस का भी हो सकता है, जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए रात-दिन भला-बुरा सहती है और कुछ भी गड़बड़ होने पर पहले कार्रवाई की तलवार उन्हीं की गर्दन पर लटकती है।

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