नींद से जागा भाषा संस्थान, साहित्यकारों की सूची होगी तैयार
-15 लाख तक की सालाना आय वाले भी पुस्तक प्रकाशन के लिए पा सकेंगे अनुदान, संस्कृति विभाग के अधिकारी अब भी नींद में

देहरादून: स्थानीय साहित्यकारों और कवियों की उपेक्षा को लेकर तमाम मंचों से उठ रही आवाजों के बाद उत्तराखंड भाषा संस्थान नींद से जाग गया है। संस्थान की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने और सीधा संवाद कायम करने के उद्देश्य से साहित्यकारों की सूचना निर्देशिनी तैयार करने का फैसला किया गया है। संस्थान की उप निदेशक जसविंदर कौर की ओर से 12 अगस्त को साहित्यकारों को पत्र भेजकर उनकी लेखन विधा और पूरा प्रोफाइल मांगा गया है, ताकि उसे डायरेक्टरी में छापा जा सके। इस सूची से साहित्यकारों को कितना फायदा पहुंचेगा, यह तो भविष्य बताएगा। हालांकि संस्कृति विभाग की ओर से अभी भी ऐसी कोई पहल नहीं की गई है।
यूं तो साहित्यकारों के लिए भाषा संस्थान की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन व्यापक प्रचार-प्रसार न होने के कारण समय से इनकी जानकारी नहीं मिल पाती है। लेकिन अब भाषा संस्थान ने ऐसी पहल की है, जिससे साहित्यकारों और भाषाविदों से सीधा संपर्क किया जा सकेगा। यही नहीं, संस्थान की ओर से पिछले दो साल से साहित्यकारों को विभिन्न श्रेणियों में साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है। हालांकि दोनों साल समुचित प्रचार न होने के कारण कम ही लोग इन पुरस्कारों के लिए आवेदन कर सके।
इसी तरह, पुस्तक प्रकाशन अनुदान योजना के लिए भाषा संस्थान ने अपना खजाना खोल दिया है। इस योजना के अंतर्गत अब ऐसे साहित्यकारों को भी अनुदान मिल सकेगा, जिनकी सालाना आय 15 लाख रुपए तक होगी। यानी सवा लाख मासिक वेतन पाने वाले को भी भाषा संस्थान अनुदान देगा। हालांकि यह अनुदान अधिकतम 50 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होगा, लेकिन भाषा संस्थान की यह उदारता चर्चा का विषय बनी हुई है। पहले पांच लाख तक की सालाना आय वाले लेखकों को यह अनुदान मिलता था। लेकिन भाषा संस्थान द्वारा सीधे 15 लाख सालाना आय वालों को भी अनुदान के दायरे में लाना गले नहीं उतर रहा, जबकि पुस्तक अनुदान की यह योजना उन साहित्यकारों के लिए होती थी, जो आर्थिक स्थिति विपन्न होने के कारण पुस्तक प्रकाशित कराने में अक्षम होते थे। इसी तरह पुस्तक मेलों के आयोजन और पुस्तकालय और ई-पुस्तकालय के माध्यम से पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध कराने की योजना है।