उत्तराखंड में आखिर भाषा विभाग को मिला नया सचिव
- आईएएस युगल किशोर पंत होंगे नए सचिव, हालांकि एक साल बाद भी उत्तराखंड भाषा संस्थान में नहीं हो सकी स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति, अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे किस तरह होगा बोली-भाषा का उत्थान, अभी भी खड़े हैं सवाल

लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
देहरादून: उत्तराखंड में स्थानीय बोली-भाषा के उत्थान के उद्देश्य से स्थापित भाषा विभाग को आखिर ढ़ाई माह बाद नया सचिव मिल ही गया। शासन की ओर से सोमवार देर रात जारी ट्रांसफर और पोस्टिंग लिस्ट के अनुसार युगल किशोर पंत को भाषा विभाग का नया सचिव बनाया है। आईएएस विनोद रतूड़ी की सेवानिवृत्ति के बाद से सचिव का पद खाली पड़ा था। हालांकि भाषा सचिव की अनुपस्थिति में ही पिछले दिनों जैसे-तैसे साहित्य गौरव पुरस्कार बांट दिए गए। यह दीगर है कि कैबिनेट में 42 पद सृजित करने के एक साल से ज्यादा समय बाद भी उत्तराखंड भाषा संस्थान स्थायी कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति की राह देख रहा है।
उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से हाल ही में वितरित साहित्य गौरव पुरस्कार में कथित गड़बड़झाला सोशल मीडिया और अखबारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। भाषा विभाग में सचिव की तैनाती न होने से भाषा-बोली के उत्थान से संबंधित कई कार्य भी अटके पड़े हैं। भाषा विभाग को नया सचिव मिलने के बाद उम्मीद है कि विवाद का कुछ समाधान निकले। माना जा रहा है कि भाषा संस्थान में सृजित पदों पर भी अब नियुक्ति की दिशा में कार्य हो सकेगा।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 14 फरवरी 2024 को आयोजित कैबिनेट की बैठक में एक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वर्तमान में उत्तराखंड भाषा संस्थान का कार्य नितांत अस्थायी सृजित पदों एवं आउटसोर्स कर्मचारियों के माध्यम से किया जा रहा है। विभाग में करीब 14 पीआरडी कर्मचारी तैनात हैं। संस्थान में सहायक निदेशक, प्रकाशन अधिकारी, शोध अधिकारी सहित कई पदाें सहित कुल 51 पद सृजित करने का प्रस्ताव रखा गया था। कैबिनेट ने उस समय इसमें से 42 पदों को सृजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कहा गया कि संस्थान में स्थाई अधिकारी, कर्मचारी मिलने से स्थानीय बोली, भाषा को बढ़ावा दिए जाने के काम को गति मिलेगी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। हैरत की बात है कि विभागीय सचिव की अनुपस्थिति में ही राज्यस्तरीय कार्यक्रम हो गया, जिसमें मुख्यमंत्री धामी ने 18 साहित्यकारों को सम्मानित करने के साथ-साथ दो लेखक ग्राम बनाने की घोषणा की। यही नहीं, साहित्य को पर्यटन से जोड़ने की भी बात कही गई। लेकिन धरातल में स्थिति यह है कि भाषा संस्थान के पास अपना भवन बनाने के लिए जमीन तक नहीं है। हालांकि अब भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने डीएम को भाषा संस्थान के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए हैं।
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2010 में हुई थी भाषा संस्थान की स्थापना:
गौरतलब है कि उत्तराखंड में स्थानीय बोली, भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2010 में उत्तराखंड भाषा संस्थान की स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 2018 में इसका एक्ट तो बना दिया गया, लेकिन स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई। करीब छह साल बाद वर्ष 2024 में कैबिनेट में पद सृजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी तो दे दी गई, लेकिन स्थायी कर्मचारियों की तैनाती एक साल बाद भी नहीं हो सकी।
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सबसे बड़ा सवाल :
उत्तराखंड भाषा संस्थान के तहत गठित हिंदी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा एवं बोली अकादमियों का उद्देश्य हिंदी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा और बोलियों का विकास संवर्धन, शोधकार्य, मानकीकरण, अनुवाद कार्य करना है। लेकिन स्थायी कर्मचारियों और अधिकारियों के अभाव में किस तरह बोली-भाषा के उन्नयन के लिए काम होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।
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आईएएस युगल किशोर पंत समेत 13 आईएएस और पांच आईपीएस समेत 26 अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में फेरबदल
देहरादून: सीएम धामी की हामी के बाद उत्तराखंड में शासन ने 13 आईएएस और पांच आईपीएस अफसरों समेत 26 अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में फेरबदल किया है। सोमवार देर रात इस संबंध में आदेश किए गए।
आदेश के अनुसार,आईएएस युगल किशोर पंत को सचिव धर्मस्व एवं संस्कृति के साथ भाषा और सोनिका को पुराने दायित्वों के साथ अपर सचिव नागरिक उड्डयन की जिम्मेदारी दी गई है। विनीत कुमार से अपर सचिव नियोजन वापस लिया गया है।
रीना जोशी को सीईओ राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। आनंद श्रीवास्तव से स्वास्थ्य विभाग और सीईओ राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण का प्रभार वापस लेकर अपर सचिव कृषि व कृषक कल्याण, मनुज गोयल से ग्राम्य विकास, कृषि व कृषक कल्याण वापस लेकर उन्हें अपर सचिव सैनिक कल्याण एवं उच्च शिक्षा बनाया गया है।
हिमांशु खुराना को अपर सचिव वित्त और अभिषेक रुहेला को पुराने विभागों के साथ अपर सचिव कौशल विकास एवं सेवायोजन भी जिम्मेदारी दी गई। नितिका खंडेलवाल से ग्राम्य विकास एवं निदेशक शहरी विकास की जिम्मेदारी वापस लेकर उन्हें अपर सचिव सूचना, सुराज एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी के साथ ही प्रबंध निदेशक हिल्ट्रान बनाया गया है।
अनुराधा पाल को पुराने विभागों के साथ एपीडी, आईएलएसपी तथा परियोजना निदेशक यूजीवीएसआरईएपी की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।