बेलगाम मंत्री, सदन की मर्यादा तार-तार, स्पीकर मूक

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र जहां एक लाख करोड़ से ज्यादा के ऐतिहासिक बजट को लेकर याद रखा जाएगा, वहीं पहाड़-मैदान को लेकर सदन में वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के दिए विवादित बयान को लेकर भी उत्तराखंडी इसे नहीं भुला पाएंगे। यही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतुभूषण खंडूरी के मंत्री को पहाड़ियों के खिलाफ गलतबयानी के बावजूद उन्हें संरक्षण देने और विरोध जताने वाले विपक्षी विधायक को सदन से बाहर निकल जाने के आदेश को लेकर भी लंबे समय तक पहाड़ियों के दिलों में इसकी टीस रहेगी।
पहाड़ियों के खिलाफ गलतबयानी करने वाले वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के खिलाफ समूचे पहाड़ में उबाल है। जगह-जगह पुतले फूंके जा रहे हैं। हर कोई प्रेम चंद अग्रवाल को बर्खास्त करने की मांग उठा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कार्रवाई के बजाय उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि प्रेम चंद अग्रवाल के समर्थन में विधानसभा में कोई आगे नहीं आया, हालांकि सत्ता पक्ष के विधायकों ने चुप्पी साधी रही, जिसका प्रभाव जनता में सही नहीं गया। उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धीरेंद्र प्रताप ने एक बयान जारी कर विधानसभा अध्यक्ष ऋतुभूषण खंडूरी के रवैए की आलोचना की। कहा कि प्रेम चंद अग्रवाल ने विधायक मदन बिष्ट को शराब पीकर आने और पहाड़ियों के खिलाफ अपशब्द बोले, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष चुप्पी साधे रही, जो उचित नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने भी विधानसभा अध्यक्ष ऋतुभूषण खंडूरी की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े किए। कहा कि एक मंत्री ने सदन की मर्यादा तार-तार कर दी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष चुप रही, जो हर पहाड़ी का अपमान है। उन्होंने कहा कि प्रेम चंद अग्रवाल पहले भी दबंगई दिखाते रहे हैं। कुछ समय पहले ऋषिकेश में एक भाजपा कार्यकर्ता को न केवल उन्होंने अपने गनर से पिटवाया, बल्कि खुद भी उसे सरेआम सड़कों पर दौड़ाकर पीटा। उत्तराखंड के हितैषी होने का दंभ भरने वाले मंत्री की दबंगई का आलम यह था कि मंत्री या उनके गनर के खिलाफ कार्रवाई के बजाय कार्यकर्ता के खिलाफ ही थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। मेयर चुनाव के दौरान भी पहाड़ियों को गालियां दिए जाने के वीडियो वायरल हुए। यही नहीं सदन में भी पहाड़ियों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने के बावजूद प्रेम चंद अग्रवाल पर कार्रवाई के बजाय मुख्यमंत्री तक चुप्पी साधे हुए हैं।