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तदर्थ शिक्षकों को मिला इंसाफ, योगी सरकार को झटका

◆ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी को कर दिया खारिज, उत्तर प्रदेश के लगभग 2214 तदर्थ शिक्षकों को वेतन मिलने का रास्ता हुआ साफ़, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से तदर्थ शिक्षकों व उनके परिजनों में खुशी की लहर

नई दिल्ली/प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के लगभग 2214 तदर्थ शिक्षकों को सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिल ही गया । प्रदेश सरकार की तानाशाही सुप्रीम कोर्ट में नहीं चल पाई । माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सरकार की छवि को, तदर्थ शिक्षक विरोधी शासनादेश लाकर खराब कर दी थी । सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार बनाम विनोद कुमार श्रीवास्तव के एसएलपी संख्या 010554/2024 मे आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए पूर्व में हाईकोर्ट लखनऊ की डबल बेंच के दिए गए आदेश को सही ठहराते हुए तदर्थ शिक्षकों एवं उनके परिवारों को न्याय प्रदान किया । ज्ञात हो कि पूर्व में हाईकोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ खण्डपीठ ने इन सभी तदर्थ शिक्षकों को वेतन देने का आदेश प्रदेश सरकार को दिया था । पर उस आदेश को योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे डाली, जहां पर प्रदेश सरकार को मात खानी पड़ी और इस तरह हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से प्रदेश भर के लगभग 2214 शिक्षकों को जो पूर्व में राजकोष से वेतन प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें संपूर्ण परिलब्धियों के साथ लाभ मिलेगा । जैसा कि सूत्र बताते हैं कि 7 अगस्त 1993 से अद्यतन राजकोष से वेतन प्राप्त कर रहे तदर्थ शिक्षकों का सरकार ने 9 नवम्बर 2023 के शासनादेश से पहले उनकी सेवा समाप्त की और फिर 8 जुलाई 2024 को दूसरा शासनादेश लाकर मानदेय की घोषणा की थी । जिसका विरोध तदर्थ शिक्षक कर रहे थे । पिछले दिनों प्रदेश भर के तमाम तदर्थ शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय पर धरना प्रदर्शन किया । जहाँ प्रदेश सरकार से पूर्व के दोनों शासनादेशों को वापस लेने व तदर्थ शिक्षकों का आमेलन/विनियमितीकरण किए जाने की मांग की । ये तदर्थ शिक्षक 20 से 30 बरसों से प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में सेवा दे रहे थे । जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बाहर कर दिया गया था । सरकार की इस मनमाने रवैया पर सर्वोच्च न्यायालय ने विराम लगा दिया और अंततः तदर्थ शिक्षकों को न्याय मिल ही गया । तदर्थ शिक्षकों का प्रकरण इन दिनों सरकार के लिए नाक का बाल बन गया था । आखिरकार तदर्थ शिक्षकों का संघर्ष और उनकी मेनहत सार्थक हुई । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से तदर्थ शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है ।

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