चिकित्सा सुविधा व पेंशन बंदी से दृष्टि दिव्यांग पेंशनर और कर्मचारी भड़के
- एनआईईपीवीडी में बैठक कर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आदेश की निंदा की, आदेश वापस न लेने पर संस्थान में हड़ताल की दी चेतावनी, कानूनी लड़ाई का भी लिया फैसला

देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के जन्मदिन मनाए जाने से उत्साहित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) के कर्मचारियों और पेंशनरों को उस समय गहरा धक्का लगा, जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उनकी पेंशन और चिकित्सा सुविधा बंद करने का आदेश जारी किया गया। केंद्रीय मंत्रालय के इस निर्णय से अनेक दृष्टि दिव्यांग पेंशनर, सरकारी कर्मचारी और उनके आश्रित, जिनका कैंसर, हृदय रोग, टी.बी., डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारियों का उपचार चल रहा है, गहन संकट में हैं। कई दृष्टि दिव्यांगजन, जिन्होंने 30-40 वर्षों तक सेवा दी है, अब इलाज के लिए मोहताज हो गए हैं। केंद्र के इस आदेश से खफा पेंशनभोगी समेत तमाम कर्मचारियों ने बैठक कर इस आदेश की निंदा की और इसे वापस न लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून स्वतंत्रता से पूर्व 1943 से दृष्टि दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत है। बीती 20 जून को खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संस्थान में अपना जन्मदिन मनाया था, जिससे संस्थान के कर्मचारी गौरवान्वित थे, लेकिन केंद्र के चिकित्सा सुविधा बंद करने के आदेश से सभी सन्न रह गए।
केंद्र के इस निर्णय के विरोध में सोमवार को विभिन्न प्रकार के पेंशनरों तथा कार्यरत कर्मचारियों ने बैठक कर इसे अन्याय बताया। बैठक का संचालन करते हुए सेवानिवृत्त अधिकारी जगदीश चंद्र लखेड़ा ने विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए सभी को साथ देने की अपेक्षा की। एनआईवीएच संघ के अध्यक्ष जगदीश चंद्र कुकरेती तथा उपाध्यक्ष एस. सी. बिंजोला, डॉ. जेपी मिश्रा, बीडी शर्मा, योगेश अग्रवाल, पवन शर्मा, हरीश पंवार, सतेन्द्र शर्मा समेत अनेक सेवानिवृत्त अधिकारीयों/ कर्मचारियों ने एनआईईपीवीडी देहरादून प्रबंधन की घोर निंदा की तथा अविलंब चिकित्सा सुविधा यथावत जारी करने का प्रस्ताव पारित करवाया।
सभी ने एकमत से कहा यह लड़ाई लंबी है, जिसके लिए सभी को एकजुट होकर संस्थान में हड़ताल, धरना प्रदर्शन के साथ-साथ सक्षम न्यायालय तक विधिक लड़ाई लड़ कर दृष्टि दिव्यांग पेंशनरों और सेवानिवृत अधिकारियों/कर्मचारियों को उनका हक दिलाने को आगे आना होगा।