
ग़ज़ल
मुहब्बत हुई है हमें शायरी से।
निभाएं कहां तक भला ज़िंदगी से।।
दुखों ने तो यारो गले से लगाया।
मिली कब ख़ुशी हमको इतनी ख़ुशी से।।
बहुत याद आए गुज़ारे वो लम्हे।
कभी हम जो गुज़रे हैं उसकी गली से।।
जहां से चले थे वहीं लौट आए।
यहीं तो मिले थे कभी ज़िंदगी से।।
गुलों का सफ़र ‘दर्द’ कितना कठिन था।
कभी पूछिएगा ये कमसिन कली से।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094