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श्रीदेव सुमन जैसे क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेने की ज़रूरत

अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धांजलि, बीए पाठ्यक्रम में है श्रीराम शर्मा 'प्रेम' की श्रीदेव सुमन पर लिखी कविता

देहरादून: महान स्वतंत्रता सेनानी श्रीदेव सुमन ने टिहरी रियासत की गलत नीतियों का विरोध किया और अहिंसक तरीके से स्वाधीनता संग्राम में शामिल रहे। टिहरी जेल मे उन्होंने यातनाएं सहीं। उन्हें बेड़ियाँ पहनाई गयीं। वो बेड़ियाँ आज भी नयी टिहरी मे दर्शनार्थ रखी गयी है। 84 दिनो की ऐतिहासिक भूख हड़ताल के बाद 25 जुलाई को शाम को उनका निधन हो गया। उनकी लाश भिलंगना मे फेक दी गयी। वह भले ही शारीरिक रूप से साथ नहीं हैं, लेकिन आज भी हमारे मन में जीवित हैं।

महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम ने उनपर महत्वपूर्ण कविता लिखी थी, जो गढ़वाल विश्व विद्यालय के बीए के कोर्स में पढ़ाई जाती रही है_
‘ओ यतींद्र पथ परीक्षा तुम्हे शत् शत् प्रणाम
ओ भारत के मैकेस्विनी तुम्हे शतश: प्रणाम।’

आज की पीढ़ी को इस महान क्रांतिकारी के विषय मे जानकारी होनी ज़रूरी है।
हमने एक बार आई टी एम मे एक नाटक कराया था। सबको जानकारी मिली थी।

आज की स्थिति में ऐसे क्रांतिकारियों की ज़रूरत है। देश मे और दुनिया मे जो कष्ट है उनके खिलाफ खड़ा होना ज़रूरी है। यही स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

उत्तराखंड में महिलाओं की पीठ से बोझा कम नही हुआ है। नदी पास है पर पानी तो की पहुच गाँव तक नही है। पेड़ कट रहे है। पहाड़ खिसक रहे है। अवैज्ञानिक दोहन न हो इसके लिए संघर्ष हो रहा है। पलायन और रोजगार की की समस्या है। कुछ काम हुआ है पर अभी बहुत कुछ होना बाकी है।

युवाओं को क्रांतिकारी व्यक्तियों का संघर्ष बताया और बढाया जाना ज़रूरी है। भ्रष्टाचार और अनाचार पर रोक लगनी ज़रूरी है।

दुनिया युद्धों से जूझ रही है।
पर्यावरण प्रदूषण चरम पर है

एक ही विकल्प है प्रेरणास्रोतो से रास्ते लिये जाये।
व्यवस्था के स्तर पर काम होता है
पर अब लोक खुद भी आगे आये और गलत को गलत कहने का आत्मबल बढ़ाये।

(लेखक : डॉ.अतुल शर्मा, जनकवि)

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