मानसून में पीडब्ल्यूडी का वैकल्पिक मार्गों पर रहता है खास फोकस
-भूस्खलन से बंद मार्गों को खोलने के लिए तैनात की जाती हैं जेसीबी, वैकल्पिक मार्ग से गुजारे जाते हैं वाहन, पिछले साल रोड सेफ्टी से संबंधित प्रोजेक्ट के लिए मिले थे 700 करोड़ रुपए, कई जगह हो चुका काम पूरा

देहरादून: उत्तराखंड में मानसून के दौरान भूस्खलन से सड़कें बंद हो जाती हैं, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासकर चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्गों पर भूस्खलन होने से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। इन सबके बीच यात्रा को चालू रखने की बड़ी चुनौती होती है, जिसके लिए वैकल्पिक मार्ग भी तलाशने पड़ते हैं।
मानसून काल में यह चुनौती ज्यादा बढ़ जाती है, जिसके लिए यात्रा मार्गों पर जेसीबी तैनात की जाती है और वैकल्पिक मार्ग से वाहनों को भेजा जाता है। भूस्खलन वाले स्थानों के नजदीक वैकल्पिक मार्गों पर खास फोकस रहता है। पिछले साल रोड सेफ्टी के लिए बड़ा फंड मिला था, जिसके चलते करीब 700 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को स्वीकृत किया गया था, जिस पर कई जगह काम पूरा हो भी चुका है। उधर, 31 जुलाई की रात भारी बारिश से केदारनाथ यात्रा मार्ग पर जगह-जगह भूस्खलन होने से क्षतिग्रस्त हुए मार्गों को पीडब्ल्यूडी ने दुरुस्त कर दिया गया है, लेकिन करीब 10 स्थान ऐसे हैं, जहां चट्टान काटकर वैकल्पिक मार्ग बनाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि यात्रा में दिक्कत न आए।
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सात एजेंसियां कर रही वैकल्पिक मार्गों की तलाश:
चारधाम यात्रा मार्गों समेत प्रदेश के प्रमुख मार्गो पर प्रतिवर्ष भूस्खलन और सड़कों के टूटने की घटनाओं से यात्रा पर होने वाले असर को देखते हुए और भी वैकल्पिक मार्गों की तलाश की जा रही है। केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से चयनित सात एजेंसियां प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गो का सर्वे कर रही हैं। इन एजेंसियों ने केंद्र में अपने शुरुआती प्रस्तुतिकरण में बाधा बनने वाले मार्गो से पहले नदी पर पुल डालकर अलग रास्ता निकालने और सुरंग बनाने के सुझाव भी दिए हैं। इन एजेंसियों को सितंबर अंत तक अपनी अंतिम रिपोर्ट केंद्र को सौंपनी है।
प्रदेश में गत वर्ष आई आपदा के दौरान चारधाम यात्रा मार्ग बुरी तरह बाधित हुए थे। कई स्थानों पर सड़कों के बहने और मलबा आने के कारण अवागमन बिल्कुल ही ठप हो गया था। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर फंसे यात्रियों को निकालने में शासन व प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों के मार्गो के हालात पर चर्चा करते हुए वैकल्पिक मार्ग बनाने पर मंथन हुआ। केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग विभाग ने चार धाम यात्रा समेत प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गो पर सर्वे का निर्णय लिया। इन राजमार्गो में एनएच-58, एनएच-94, एनएच-86, एनएच-108 व एनएच-109 आदि शामिल हैं। हर मार्ग का सर्वे अलग-अलग एजेंसियों को दिया गया है। ये एजेंसियां केंद्र के समक्ष शुरुआती प्रस्तुतिकरण दे चुकी हैं। इन एजेंसियों द्वारा लामबगड़, सिरोबगड़ और सुक्की टॉप जैसे क्षेत्रों का विशेष रूप से अध्ययन किया गया है।
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वैकल्पिक मार्ग का फायदा
भूस्खलन से मार्ग बंद होने की स्थिति में वैकल्पिक मार्ग से यातायात संचालन किया जाता है, जिससे यात्रियों को खासी राहत मिलती है। पिछले दिनों बदरीनाथ-ऋषिकेश हाईवे चमोली-नंदप्रयाग होम टाउन होटल के पास बंद हुआ तो वैकल्पिक मार्ग कोठियालसैण-नंदप्रयाग से आवाजाही कराई गई। इसी तरह, रुद्रप्रयाग-केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में कुंड पुल के पास कटाव होने के चलते वाहनों की आवाजाही बंद होने पर भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग कुंड चुन्नीबैंड से कालीमठ गेट गुप्तकाशी का प्रयोग किया जा रहा है।
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‘ चारधाम यात्रा मार्ग पर कुछ ऐसी जगह हैं, जहां पर बारिश के दौरान मार्ग बंद होने का ज्यादा खतरा होता है। ऐसी स्थिति में मार्ग बंद होने वाली जगह से पहले वैकल्पिक मार्ग का उपयोग करते हैं, जहां से वाहनों को भेजा जाता है। आपदा की स्थिति हो तो छोटे रास्तों का उपयोग करते हैं, जिनमें कुछ मार्ग वन विभाग के गश्त करने वाले रास्ते हैं। गांव को जाने वाले रास्ते हैं, जिनका उपयोग आपदा की स्थिति में रेस्क्यू करने में किया जाता है।’
पंकज पांडेय, सचिव पीडब्ल्यूडी