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ग़ज़ल

ग़ज़ल

जिंदगी से भरा रास्ता चाहिए।
हादसा अब न कोई नया चाहिए।।

ग़म मिले या खुशी कोई भी ग़म नहीं।
साथ हमको फकत आपका चाहिए।।

मंजिलें किस तरह से मिलेंगी तुम्हें।
पांव में कोई तो आबला चाहिए।।

बात करता रहे बात सुनता रहे।
हमसफर इक हमें आपसा चाहिए।।

खामियां दूसरों की गिनाएं फकत।
ऐसे लोगों को भी आइना चाहिए।।

इस कदर है भरा जख्म से ये बदन।
अब मेरे दर्द को भी दवा चाहिए।।

जुल्म की इन्तिहा हो चुकी ‘दर्द जी’।
अब जमीं पर नया इक खुदा चाहिए।।

  1. दर्द गढ़वाली, देहरादून
    09455485094

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