गुजरात अधिवेशन में एकजुट दिखी उत्तराखंड कांग्रेस

देहरादून: गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस के दो दिवसीय 84वें अधिवेशन का समापन हो गया। अधिवेशन में भाग लेने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस से करीब 27 एआईसीसी (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) मेंबर शामिल हुए। वहीं कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने एक दूसरे के साथ फोटो खिंचवाकर विश्वसनीयता दर्शायी और एकजुटता का मैसेज देने का काम किया।
उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस अधिवेशन की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की है। फोटो में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन मुस्कुराते हुए एक साथ नजर आ रहे हैं। ऐसी तस्वीर सामने आने के बाद लग रहा है कि उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक होने जा रहा है। कांग्रेस संगठन में आपसी गुटबाजी खत्म होने के आसार दिख रहे हैं। इस तस्वीर को लेकर लोग तरह-तरह के कमेंट भी कर रहे हैं।
करन माहरा ने एक फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर की है, जिसको लेकर लोग तरह तरह के कमेंट भी कर रहे हैं। हरीश सिंह लिखते हैं कि ‘हम कसम राम की खाते हैं। हम अब कभी आपस में लड़ेंगे नहीं और विरोधियों को छोड़ेंगे नहीं’। वहीं एक और सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि, ‘अधिवेशन के बाद धड़ेबाजी फिर से शुरू कर देना’।
हालांकि अधिवेशन के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में चल रही आपसी गुटबाजी समाप्त होगी या नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन बीजेपी ने अधिवेशन से उत्तराखंड कांग्रेस के बड़े नेताओं की एक साथ आई तस्वीरों पर निशाना साधा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन ने कहा कि,
उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं की कम से कम एक ऐसी तस्वीर तो नजर आई, जिसमें सभी दिग्गज नेता एक साथ दिखाई दे रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस तरह उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस के नेताओं में आपस में ही एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है। क्या उस प्रवृत्ति को कांग्रेस के नेता अहमदाबाद छोड़कर आएंगे. सच्चाई यह है कि उत्तराखंड कांग्रेस के नेता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के और राहुल गांधी को एकजुटता का मात्र दिखावा करते हुए नजर आ रहे हैं.
इधर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि,
कांग्रेस हमेशा अपनी एकजुटता प्रदर्शित करती रहती है. उन्होंने पार्टी में गुटबाजी से इनकार करते हुए कहा कि हाल ही में हुई पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में राज्य के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से किए गए धरने प्रदर्शनों में भी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता एकजुट होकर शामिल होते रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेताओं की एक साथ फोटो कभी नजर नहीं आती है। उन्होंने कहा कि जब भी कांग्रेस पार्टी को भाजपा एकजुट नजर आती है। तभी भाजपा में बौखलाहट शुरू हो जाती है।
कांग्रेस में गुटबाजी बनी हार का कारण: 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी प्रदेश की सत्ता में आई थी, लेकिन 2016 में कांग्रेस में बड़ा विभाजन हुआ और 9 बागी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। उसके बाद तीन और नेता पार्टी छोड़ गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मात्र 11 सीटों पर संतोष करना पड़ा और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। 2018 के निकाय चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। उसमें भी कांग्रेस पार्टी प्रदेश की पांचों सीटें हार गई. 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पिछले प्रदर्शन में सुधार किया और 19 विधानसभा सीटें जीती।
2024 में कांग्रेस पार्टी ने मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव जीता। 2024 में केदारनाथ उपचुनाव में भले ही कांग्रेस को हार मिली, लेकिन उसके वोट बैंक में इजाफा हुआ। इसी तरह 2025 के निकाय चुनाव में कांग्रेस 10 नगर निकायों में अपना परचम नहीं लहरा सकी, लेकिन ज्यादातर नगर पालिका और नगर पंचायतों में 33 सीटों पर अपना कब्जा जमाते हुए बड़ी जीत हासिल की।