
देहरादूनः दून पुस्तकालय और समय साक्ष्य प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को दून पुस्तकालय सभागार में कविता संग्रह ‘हाशिये का हिमाल’ पर सार्थक चर्चा हुई। युवा कवि अनिल कार्की द्वारा संपादित इस कविता संग्रह में उत्तराखंड के 24 युवा कवियों की कविताओं का संकलन है।
चर्चा की शुरुआत करते हुए युवा कवि अनिल कार्की ने कहा कि वह इस कविता संग्रह के माध्यम से पहाड़ी समाज की पीड़ा को उभारना चाहते थे और इसी वजह से यह संकलन निकालने की जरुरत महसूस हुई। कहा कि पहाड़ी समाज में महिलाओं के संघर्ष को भुला दिया गया है। पुस्तक पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस संग्रह के माध्यम से आप हिमालय के समकालीन युवाओं की धड़कनों को महसूस कर सकते हैं। इस संग्रह में उत्तराखंड के कुल 24 युवाओं की कविताओं को स्थान दिया गया है। यह किताब प्रकाशन की हिमालयी कविता को लेकर बनायी गई एक दीर्घ योजना का पहला भाग है। इसी तरह भविष्य में सुदूर पूर्व से लेकर कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल के युवा कवियों के संपादित संकलन भी आने है।
वरिष्ठ कवि राजेश सकलानी ने कविता संग्रह की समीक्षा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कवि को एग्रेसिव होना होगा। सार्थक कविताएं रचनी होगी। कहा कि मैं यह तो नहीं कहता कि कवि क्रांतिकारी हो जाए, लेकिन उसे तमाम सीमाओं के बावजूद समाज की पीड़ा को उभारना होगा। पहाड़ी युवा केवल फौज में जाने के लिए ही नहीं बना है। उसके अपने भी कुछ सपने है। इसी तरह पहाड़ की स्त्री का अपना संघर्ष है, जिसे कविताओं में उभारना जरूरी है।
कार्यक्रम का संचालन युवा कवि नागेंद्र गगोला ने किया। संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार रवि, रजनीश त्रिवेदी, दर्द गढ़वाली, शांतिप्रकाश जिज्ञासु, रानू बिष्ट, प्रवीण भट्ट, नेपाली अधिकारी, दिनेश शर्मा आदि मौजूद थे।
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इन कवियों की कविता हैं शामिल
इस संग्रह में उत्तराखंड के युवा कवि संदीप रावत, सोनिया गौड़, लोकेश डसीला, प्रकृति करगेती, लवराज, स्वाति मेलकाली, मोहन मुक्त, नीलम पाण्डेय, प्रियंका गोस्वामी, रोहित जोशी, दर्पण साह, दीपिका ध्यानी, नागेन्द्र गंगोला, खेमकरण सोमन, मनोज कंडियाल, अंकिता रासुरी, अस्मिता पाठक, नीकिता नैथानी, प्रेमा गड़कोटी, सुमित रिंगवाल, पंकज भट्ट, अनिता मैठाणी, दिव्या और अनिल कार्की की कविताएं शामिल हैं।