38वें नेशनल गेम्स: ओपनिंग सेरेमनी के लिए एक्साइटेड जुबिन, पीएम मोदी के सामने देंगे प्रस्तुति

देहरादून: राज्य गठन के बाद उत्तराखंड को पहली बार राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है। इसीलिए 38वें राष्ट्रीय खेलों को भव्य बनाने के लिए उत्तराखंड खेल विभाग और सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जनवरी को खुद देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों को शुभारंभ करेंगे। इस इवेंट को यादगार बनाने के लिए कई रंगारग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। ओपनिंग सेरेमनी में बॉलीवुड के लोकप्रिय सिंगर जुबिन नौटियाल भी अपनी प्रस्तुति देंगे।
जुबिन नौटियाल ने बताया कि इस प्रोगाम में खुद पीएम मोदी आ रहे हैं। साथ ही वो भी पहली बार अपने शहर में इस तरह के किसी कार्यक्रम में गाने जा रहे हैं। इसीलिए वो भी काफी एक्साइटेड है। जुबिन नौटियाल ने बताया कि वो खुद इस तरह की अपॉर्चुनिटी का लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। न सिर्फ उनके बल्कि हर उत्तराखंडी के लिए प्रदेश में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होने गर्व की बात है। 38वें राष्ट्रीय खेल में उन्हें भी जुड़ने का मौका मिला। ये उनके लिए बहुत बड़ा मौका है। ऐसे मौके को देश को कोई भी कलाकार छोड़ना नहीं चाहेगा और ये तो उनके अपने प्रदेश की यानी उत्तराखंड की बात है।
जुबिन नौटियाल ने बताया कि 38वें राष्ट्रीय खेल की ओपनिंग सेरेमनीको यादगार बनाने के लिए उनकी 30 लोगों की टीम कल से ही जुटी हुई है, जिसमें टेक्नीशियन से लेकर के उनके म्यूजिक बैंड के तमाम लोग हैं। जुबिन नौटियाल ने कहा कि वो देश-विदेश में सैकड़ों परफॉर्मेंस दे चुके हैं, लेकिन देहरादून का ये कार्यक्रम उनके लिए कुछ खास है। देहरादून में अबतक की उनकी ये सबसे बड़ी परफॉर्मेंस होगी।
उन्होंने बताया कि वो उनके दिल से यह इच्छा है कि एक गाना जो 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जुबिन नौटियाल ने पीएम नरेंद्र मोदी के जीवनी पर लिखा था, जिसके बोल थे “मैं शीश नवाता हूं” को वह कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने गायेंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनके कई भक्ति के गाने भी गाए हैं। देवभूमि अपने आप में भक्ति की भूमि है और निश्चित तौर से देवभूमि में उनका कार्यक्रम हो और उसमें राम का नाम ना आए ऐसा नहीं हो सकता है।
38वें राष्ट्रीय खेलों को भव्य बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार की तैयारियों की जुबिन नौटियाल ने भी तारीफ की है। जुबिन नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड बेहद छोटा राज्य है, लेकिन उत्तराखंड संतों की भूमि है। देवभूमि उत्तराखंड को मजबूत बनाने में जितना हिस्सा आम लोगों और सरकार का है, उससे कई ज्यादा योगदान यहां संतों और भक्तों का रहा है।