उत्तराखंडधार्मिक

गुरु तेग बहादुर जी के दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान 

-गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस पर कीर्तन दरबार का आयोजन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने गुरुद्वारा में टेका माथा 

देहरादून : गुरु तेग बहादुर के बलिदान दिवस पर रविवार को गांधीग्राम स्थित गुरुद्वारा तेग बहादुर में एक भव्य कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने गुरु तेग बहादुर के जीवन और उनके अद्वितीय बलिदान पर विचार व्यक्त किए। कीर्तन की पवित्र ध्वनि से संगत निहाल हो उठी। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने कार्यक्रम में शामिल सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया और गुरु तेग बहादुर जी के दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

   इस अवसर पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने गुरुद्वारे में मत्था टेका और संगत को संबोधित किया। उन्होंने गुरु तेग बहादुर के बलिदान को नमन करते हुए कहा कि सिख पंथ के नौवें गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

  उन्होंने बताया कि जब कश्मीरी पंडितों ने धर्म परिवर्तन के जबरन प्रयासों के खिलाफ उनकी सहायता मांगी, तो गुरु जी ने दिल्ली जाकर मुगल सम्राट औरंगजेब के सामने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए आवाज उठाई। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने और इनामों का प्रलोभन दिया, लेकिन गुरु तेग बहादुर ने धर्म और सत्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देना स्वीकार किया। इस अद्वितीय त्याग के कारण उन्हें “हिंद की चादर” कहा जाता है।

 धस्माना ने सिख पंथ के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर धर्म और कौम की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने हंसते-हंसते अपने चारों पुत्रों और अपने माता-पिता का बलिदान दिया। गुरु गोविंद सिंह जी को उनके महान त्याग के कारण “सर्वस्व बलिदानी” कहा जाता है।

कार्यक्रम में जगदीश धीमान, दलबीर सिंह कलर, अशोक गोलानी, कुलदीप जखमोला, आशुतोष द्विवेदी, हरप्रीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, कुलविंदर सिंह, और अमनदीप सिंह आदि मौजूद थे।

 

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