उत्तराखंडशोक/श्रद्धांजलि

निरंकारी संत सोहन सिंह रावत का निधन

96 साल की उम्र में हुआ निधन, शाम चार बजे हल्द्वानी स्थित आवास में ली अंतिम सांस

हल्द्वानी: कमस्यारघाटी (जनपद बागेश्वर) के प्रसिद्ध निरंकारी संत सोहन सिंह रावत जी का 96 वर्ष की आयु में तीनपानी हल्द्वानी स्थित आवास में गुरुवार को निधन हो गया। वे पिछले लगभग डेढ़ महीने से उम्र सम्बंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्होंने शाम को लगभग 4:00 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
वे पूरी कमस्यारघाटी में वे संत रावत जी के नाम से विख्यात थे और निरंकारी मंडल जगत में डैडी के नाम से जाने और पुकारे जाते थे। वे बड़ाबै राजकीय ( एचौली – पिथौरागढ़) इंटर कॉलेज से 1981 में उप प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और 1990 में संत निरंकारी मिशन से जुड़े। इनके भाई बलराम सिंह रावत ने इन्हें निरंकारी मिशन से जोड़ा था। जवाहर नगर ( पंतनगर – ऊधमसिंह नगर) के रविदत्त डिमरी से इन्होंने निरंकार का ज्ञान प्राप्त किया। उसके बाद इन्हें निरंकारी मिशन में प्रचारक का दायित्व सौंपा गया।
कुमाऊँ और गढ़वाल के सैकड़ों गॉवों में सरदार प्रीतम सिंह निरंकारी के साथ मिलकर इन्होंने निरंकारी मिशन का प्रचार और प्रसार किया। संत सोहन सिंह रावत जी का जन्म 10 जनवरी 1930 को कमस्यारघाटी के खातीगॉव में हुआ।इनके पिता का नाम केदार सिंह और मॉ का नाम जयन्ती देवी था। ये छह भाई-बहन थे। केदार सिंह, मोहन सिंह, भगत सिंह, बलराम सिंह, वैजयन्ती देवी और आनन्द सिंह।
संत निरंकारी जी ने देवतोली प्राइमरी स्कूल से कक्षा -4 तक की पढ़ाई 1944 में पूरी की और उसके बाद हाई स्कूल तक की पढ़ाई काण्डा से 1947 में पूरी की। उसके बाद 1948 में अल्मोड़ा से जेटीसी ( जूनियर टीचर्स सार्टिफिकैट) का कोर्स किया। उसके बाद 1949 में इनकी नियुक्ति अंग्रेजी अध्यापक के तौर पर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अन्तर्गत आने वाले जूनियर हाई स्कूल देवतोली ( कमस्यारघाटी) में हुई। वहॉ इन्होंने 1952 तक अध्यापन कार्य किया। उसके बाद 1955 तक बेरीनाग हाई स्कूल में अध्यापन कार्य किया।
इससे पहले 1946 के माघ महीने में इनका विवाह थालगॉव ( देवलथल) निवासी सूबेदार गिरधर सिंह बसेड़ा और देवकी देवी बसेड़ा की बेटी दमयन्ती बसेड़ा के साथ हुआ। इनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। बड़े पुत्र मनमोहन सिंह रावत सहायक खंड विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत हैं, तो छोटे पुत्र हनुमान सिंह रावत आईटीबीपी के सब इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत हैं।
इन्होंने 1970 से 1980 तक गणाई – गंगोली के इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य किया. इस दौरान इन्होंने जो साल तक वहॉ बच्चों को संस्कृत ऐर हिन्दी भी पढ़ाई. गणाई गंगोली में रामलीला के मंचन की शुरुआत कराने का श्रेय संत निरंकारी जी को ही जाता है.
सहायक खण्ड विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत उनके बड़े पुत्र मनमोहन सिंह रावत ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार 31 जनवरी को प्रातः 8:00 बजे चित्रशिला घाट रानी बाग में किया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button