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प्रश्नकाल में गूंजे राशन कार्ड और स्मार्ट मीटर के मुद्दे

- कांग्रेस के विधायकों ने भू कानून और स्मार्ट मीटर के मुद्दों पर सरकार को घेरा, खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा लगातार बनाए जा रहे हैं नए राशनकार्ड

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में विपक्ष ने स्मार्ट मीटर और भू कानून के मुद्दों पर सरकार को घेरा। इसके साथ ही कई विधेयक और अध्यादेश भी भी सदन के पटल पर रखे गए, जिन्हें सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
उत्तराखंड में बजट सत्र के दूसरे दिन की कार्रवाई सुबह 11 बजे शुरू हुई। मंगलवार को हुए राज्यपाल के बजट अभिभाषण के बाद बुधवार को बजट सत्र की शुरुआत प्रश्नकाल से हुई। विपक्ष के तमाम विधायक सरकार को प्रदेश के कई ज्वलंत मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। विपक्ष की तरफ से कांग्रेस विधायक भुवन चंद कापड़ी, निर्दलीय विधायक उमेश कुमार सहित कई विधायक स्वास्थ्य, युवा कल्याण, खेल, खाद्य आपूर्ति, महिला सशक्तिकरण के अलावा भू कानून और स्मार्ट मीटर पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने कहा कि गरीबी रेखा का आकलन न होने से हजारों गरीब परिवार खाद्य सुरक्षा योजना से वंचित हैं। इस पर खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा कि 2011 की जनगणना के आधार पर राज्य में 60.80 लाख लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ मिल रहा है। 36.33 लाख लोगों को राज्य खाद्य योजना का लाभ मिल रहा है। 5 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले परिवारों के राशन कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं।
सदन में प्रश्नकाल के दौरान मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि प्रदेश में 1,76,000, अंत्योदय कार्ड की डिमांड है। कहा कि अगर कोई लगता है कि राशन कार्ड अपात्र की श्रेणी में आ गया है, तो इसकी सूचना विभाग या सीएम पोर्टल पर दे सकते हैं।
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि प्रदेश में 168 आंगनबाड़ी कम क्रेच केंद्रों को स्वीकृति मिली है। कामकाजी महिलाओं के 6 माह से 6 साल तक के बच्चे इन क्रेच (पालन) में रख सकते हैं।
कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सदन में नियम 310 का प्रश्न उठाया। स्मार्ट मीटर को लेकर उठाए प्रश्न पर सदन की कार्यवाही रोक चर्चा कराने की मांग की गयी। विपक्ष की मांग को नियम 58 में स्वीकार किया गया। ऊर्जा मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने विधायकों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर प्रीपेड नहीं हैं। देशभर में यह मीटर लगाए जा रहे हैं। प्रदेश में साढ़े 27 लाख उपभोक्ताओं के सापेक्ष 15 लाख 87 हजार उपभोक्ताओं के घरों में ही यह मीटर लगाए जा रहे हैं।

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