इंदौर में तजदीद साक़ी ने कराई उर्दू अकादमी की फजीहत, मुशाइरा रद होने से उठे सवाल
- नशिस्त में आने के लिए हिंदू शु'अरा से ख़ास गुज़ारिश कर रहा है तजदीद साक़ी, 18 मई को होने वाला मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी का मुशाइरा केंसिल, उसकी जगह होगी प्राइवेट नशिस्त

इंदौर : शहर में 18 मई 2025 को म.प्र. उर्दू अकादमी का एक मुशाइरा होने जा रहा था। उस्ताद अनवर सादिक़ी सा., फ़रियाद बहादुर सा., रवि ‘शबाब’ सा., विकास जोशी ‘वाहिद’ सा., दिनेश ‘दानिश’ सा. के साथ कई शु’अरा को ज़िला कार्डिनेटर तजदीद साक़ी ने फोन कर मद’ऊ भी कर लिया था लेकिन अचानक उर्दू अकादमी ने ये मुशाइरा केंसिल कर दिया। पिछले 26 जनवरी 2025 को भी तजदीद साक़ी की कन्वीनरशिप में एक वाटर पार्क में मुशाइरा रखा गया था जिसमें रवि शबाब सा. विकास जोशी ‘वाहिद’सा. समेत कई शु’अरा को आमंत्रित किया गया था लेकिन ऐन वक़्त पर वो भी केंसिल हो गया था।
तजदीद साक़ी ने सभी शु’अरा को यही कहा था कि वो केंसिल नहीं हुआ है, मुल्तवी हुआ है और जल्द ही नयी तारीख़ का ऐलान किया जाएगा। हालांकि आज तक वो मुशाइरा नहीं हुआ। अब उर्दू अकादमी का मुशाइरा केंसिल होने को लेकर भी तजदीद साक़ी ने सभी को वही कहा है जो 26 जनवरी के मुशाइरे के केंसिल होने पर कहा था। उर्दू अकादमी के इस मुशाइरे में जिन शु’अरा को पढ़ना था, उन्हें पेमेंट किया जाना था। एक सीनियर शाइर जिन्हें तजदीद साक़ी ने उर्दू अकादमी के मुशाइरे में मद’ऊ किया था,जब उन्हें तजदीद ने फोन करके बताया कि उर्दू अकादमी का 18 मई का मुशाइरा केंसिल हो गया है लेकिन उसकी जगह मैंने 18 मई को ही एक नशिस्त रख ली है और उसमें आपको आना है। उस नशिस्त के पोस्टर के लिए आप अपना फोटो मुझे भेज दें।
उन सीनियर शाइर ने मुझे कहा कि ये (तजदीद) कैसा कन्वीनर है कि जब देखो तब इसके मुशाइरे केंसिल हो जाते हैं। मैंने तो तय कर लिया है कि ये चाहे अब कितना भी बड़ा मुशाइरा करवा ले, मैं ज़िंदगी में कभी इसके मुशाइरे में नहीं जाऊंगा। इसकी न तो ज़बान का भरोसा है और न इसकी शह्र में कोई इमेज है।
एक और सीनियर शाइर ने जो हिंदू हैं, उन्होंने कहा कि जिस तरह से तजदीद मुझसे बार-बार गुज़ारिश कर रहा था कि आपको तो 18 मई वाले प्रोग्राम में आना ही पड़ेगा, उससे लग रहा है कि ये ख़ासतौर पर हिंदू शु’अरा को इस प्रोग्राम में बुला कर कोई शक्ति प्रदर्शन करना चाहता है।
अब देखना ये कि प्राइवेट इंवेंट के नाम से की जा रही इस नशिस्त में तजदीद साक़ी कितना बड़ा शक्ति प्रदर्शन कर पाता है। और ये भी देखना है कि इस बार किस-किसको सोफ़े बांधे जाते हैं।
*रमज़ान बाद करने वाला था अपने दादा समेत दो और शु’अरा के शे’री मजमूए का इजरा-*
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8 फरवरी 2025 को जब ‘आहबाब-ए-इसहाक़ असर’ की जानिब से उनकी किताब का रस्म-ए-इजरा प्रेस क्लब इंदौर में हुआ था, तब तजदीद ने मुझसे कहा था कि सर आपने थोड़ा जल्दी ये प्रोग्राम रख लिया वरना मैं रमज़ान के बाद एक बहुत बड़ा मुशाइरा करने वाला था। उसमें मेरे दादा (याक़ूब साक़ी सा.मरहूम) की किताब के साथ आरज़ू अश्की सा. और असर साहब की किताब का भी मैं इजरा करता। तब मैंने उससे कहा था कि तुम असर साहब की किताब का दूसरा इजरा कर लेना। रमज़ान गुज़रे हुए अब दो महीने से ज़ियादा हो चुका है लेकिन ये अभी तक उसके दादा की किताब (जिसे छपे हुए बरसों हो चुके हैं) का इजरा नहीं कर पाया। ये ज़िक्र करने का मक़सद सिर्फ़ ये बताना है कि जो पोता अपने दादा की किताब का अभी तक इजरा नहीं कर सका, वो अदब में काम करने को लेकर कितना संजीदा होगा,आप ख़ुद सोच सकते हैं।
दर अस्ल जब अदब में आकर किसी का मक़सद सिर्फ़ कन्वीनर बनना और मुशाइरे पढ़ने तक सीमित हो तो उससे अदब में ख़िदमत की उम्मीद करना ही फ़िज़ूल है। शाइरी बहुत संजीदा अमल है और ये ठिलवों- मसख़रों की इमेज वालों के लिए तो कतई नहीं है। आज नहीं तो कल अदब नवाज़ लोग ये समझेंगे कि हमने ऐसे ठिलवों-मसख़रों की मदद कर इंदौर के अदब का कितना बड़ा नुक़सान किया है। शायद ये बात उर्दू अकादमी को समझ आ गई है कि इंदौर में हमने ग़लत हाथ में अदब को संभालने की ज़िम्मेदारी दे दी है और शायद इसीलिए उसने अपना मुशाइरा केंसिल कर दिया है।
✍️ अखिल राज
(पत्रकार,लेखक,शाइर)