साहित्य

दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल

ख़बर कर दो रक़ीबों को तमाशा आम हो जाए

ग़ज़ल

ख़बर कर दो रक़ीबों को तमाशा आम हो जाए।
तुम्हारा नाम हो जाए हमारा काम हो जाए।।

उसे देना दिलासा तुम नहीं दिल को दुखाना तुम।
मुहब्बत में अगर कोई कभी नाकाम हो जाए।।

जरा सी बात पर तुमने किनारा कर लिया हमसे।
कहीं ऐसा न हो जाए कि दिल गुमनाम हो जाए।।

जरा दिल को संभालें हम नजर इसको न लग जाए।
जरा सी नाम की ख़ातिर कहीं बदनाम हो जाए।।

तुम्हारे नाम पर बाज़ी लगाई आज है हमने।
हमारे नाम की दौलत तुम्हारे नाम हो जाए।।

जहां पर बात तेरी हों जहां चर्चा भी तेरा हो।
वहीं पर सुब्ह हो मेरी वहीं पर शाम हो जाए।।

कभी तो बात हमसे भी हमारे मन की कर लो तुम।
जरा सी देर हमको भी सनम आराम हो जाए।।

जो हमने ख़्वाब देखे हैं उन्हें ताबीर दी जाए।
वही आगाज़ हो जाए वही अंजाम हो जाए।।

अभी मौसम भी अच्छा है अभी मौका भी अच्छा है।
तुम्हारे नाम का जानम चलो इक जाम हो जाए।।

दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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